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Madhya Pradesh News: राहुल ने गले मिलवाया लेकिन कमल नाथ व दिग्विजय के बीच दूरी घटने की उम्मीद कम

कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को गले मिलवाने को लेकर कांग्रेस नेताओं के बीच सवाल खड़े हो गए हैं। कुछ पूछ रहे हैं कि राहुल गांधी ने राज्य में अपनी 12 दिन की यात्रा के दौरान दोनों नेताओं के बीच ऐसा क्या देखा कि उन्हें दोनों को गले मिलवाना पड़ा।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraPublished: Tue, 06 Dec 2022 11:02 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2022 11:02 PM (IST)
Madhya Pradesh News: राहुल ने गले मिलवाया लेकिन कमल नाथ व दिग्विजय के बीच दूरी घटने की उम्मीद कम
राहुल गांधी द्वारा दोनों नेताओं को गले लगाए जाने को लेकर कयासों का दौर जारी है।

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। कांग्रेस मध्य प्रदेश में धड़ों में बंटी है, ऐसे संकेतों को खुद राहुल गांधी हवा देकर राजस्थान रवाना हो गए। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के अंतिम दिन मंच पर कमल नाथ और दिग्विजय को गले मिलवाया। इसके सकारात्मक पहलू को लेकर कांग्रेस भले ही आशान्वित हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस में गुटबाजी सतह पर होने के साथ ही इस पर आलाकमान की नजर होने को लेकर चर्चाएं हैं। कमल नाथ और दिग्विजय सिंह में मतभेद कम होंगे या नहीं, इस पर कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को गले मिलवाने को लेकर कांग्रेस नेताओं के बीच ही कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। कुछ पूछ रहे हैं कि राहुल गांधी ने राज्य में अपनी 12 दिन की यात्रा के दौरान दोनों नेताओं के बीच ऐसा क्या देखा कि उन्हें दोनों को गले मिलवाना पड़ा।

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बता दें कि दोनों के बीच चार दशक पुरानी दोस्ती रही है, दिग्विजय सिंह इस बात को बोल भी चुके हैं कि वे कमल नाथ के दाहिने हाथ हैं, लेकिन सब जानते हैं कि सरकार गिरने के बाद से दोनों के बीच मतभेद हो गए थे। कमल नाथ भी गाहे-बगाहे यह कह चुके हैं कि उनकी सरकार दिग्विजय के कारण गिरी। यही कारण है कि जब दिग्विजय को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का मौका आया तो कमल नाथ ने खुलकर साथ नहीं दिया था।

यह घटनाक्रम बेटों के राजनीतिक भविष्य से भी जोड़कर देखा जा रहा है। कमल नाथ के पुत्र नकुल नाथ छिंदवाड़ा से सांसद हैं, तो दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह राघौगढ़ से विधायक। कमल नाथ सरकार में जयवर्धन कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। दोनों वरिष्ठ नेता अपने पुत्रों का राजनीतिक भविष्य बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ संगठन और जमीनी पकड़ भी मजबूत बनाना चाहते हैं।

2018 में विधानसभा चुनाव से करीब सात महीने पहले कमल नाथ को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई। सत्ता में वापसी होने पर कमल नाथ मुख्यमंत्री बन गए। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष नाथ ही रहे। 2020 में कांग्रेस सरकार गिर जाने के बाद करीब डेढ़ साल तक नेता प्रतिपक्ष भी नाथ ही रहे। इसके बाद दिग्विजय सिंह के करीबी गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।

इधर, कांग्रेस में संगठन के संदर्भ में दिग्विजय सिंह की पैठ सबसे मजबूत मानी जाती है। उनकी कांग्रेस सरकार के गठन में अहम भूमिका थी। कहा जाता है कि कमल नाथ सरकार में भी उनकी गहरी पैठ थी। यही वजह है कि सरकार गिरने के लिए भी दिग्विजय सिंह को जिम्मेदार ठहराया गया। सिंह के ऊपर भी पुत्र मोह के आरोप हैं।

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ऐसे में कमल नाथ की संगठन पर बढ़ती पकड़ को लेकर भी दिग्विजय खेमा ¨चतित दिखाई दे रहा है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कमल नाथ की तैयारियों को दिग्विजय के खेमे की जरूरत पड़ेगी ही। इन परिस्थितियों में कमल नाथ और दिग्विजय के बीच मजबूत दिखने की प्रतिस्पर्धा लाजमी है। इन्हीं तस्वीरों के संदर्भ में राहुल गांधी द्वारा दोनों नेताओं को गले लगाए जाने को लेकर कयासों का दौर जारी है।

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