इंदौर, कुलदीप भावसार। मध्य प्रदेश में पत्नी को भरण-पोषण की रकम का भुगतान करने के बजाय पति कार खरीदने की योजना बनाने लगा। पत्नी को जब इस संबंध में जानकारी मिली तो उसने कुटुंब न्यायालय से बकाया भरण-पोषण दिलवाने की गुहार लगाई। इसके बाद कोर्ट ने त्वरित कार्रवाई कर पति के बैंक खाते से लेन-देन पर रोक लगा दी है। यह मामला मध्य प्रदेश के इंदौर कुटुंब न्यायालय का है। पति कालोनाइजर है। वह इंदौर में कई इमारतें बना चुका है। उसके विवाह को 25 वर्ष हो चुके हैं। पारिवारिक विवाद के चलते पत्नी ने पति के खिलाफ भरण-पोषण के लिए एडवोकेट केपी माहेश्वरी के माध्यम से कुटुंब न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराया था।
इंदौर के कुटुंब न्यायालय का आदेश
वर्ष, 2016 में इसका निराकरण करते हुए कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वह हर माह साढ़े 12 हजार रुपये भरण-पोषण के रूप में पत्नी को अदा करे। कुछ समय तो भरण-पोषण देने के बाद पति ने इसे बंद कर दिया। उस पर करीब साढ़े पांच लाख रुपये भरण पोषण राशि के बकाया हो गए। इस रकम से वह कार खरीदने वाला था। पति बकाया भरण-पोषण देने को तैयार था, लेकिन उसका कहना था कि वह हर माह किस्त के रूप में 15-15 हजार रुपये दे सकता है। इस संबंध में उसने कोर्ट में आवेदन भी दिया था, लेकिन कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया।
एक ही फ्लैट में रहते हैं पति और पत्नी, किचन में बनता है अलग-अलग खाना
एडवोकेट माहेश्वरी ने बताया कि विवाद के बावजूद पति-पत्नी आज भी एक ही फ्लैट में रह रहे हैं। वे एक ही किचन इस्तेमाल करते हैं। तय समय पर पहले पति खाना बनाता है। उसके रसोई का काम खत्म करने के बाद पत्नी किचन का इस्तेमाल करती है।
विवाद के चलते हर माह जांच करती है पुलिस
विवाद के चलते पति ने पत्नी को घर से निकाल दिया था, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद उसे पति के फ्लैट में रहने का अधिकार मिला है। कोर्ट ने पुलिस को महिला की सुरक्षा के संबंध में निगरानी का आदेश भी दिया था। पलासिया थाना पुलिस हर माह एक निश्चित तारीख पर इस संबंध में जांच करने भी आती है।
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