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जेल में सिमी आतंकियों के बैरक से मिले पर्चे

भोपाल सेंट्रल जेल से सिमी आतंकियों के फरार होने के बाद जेल के अंदर चल रहे सर्चिंग ऑपरेशन में आतंकियों के बैरक से कई पर्चे व एक रजिस्टर मिला है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 03 Nov 2016 01:16 AM (IST)Updated: Thu, 03 Nov 2016 01:28 AM (IST)
जेल में सिमी आतंकियों के बैरक से मिले पर्चे

भोपाल, ब्यूरो। भोपाल सेंट्रल जेल से सिमी आतंकियों के फरार होने के बाद जेल के अंदर चल रहे सर्चिंग ऑपरेशन में आतंकियों के बैरक से कई पर्चे व एक रजिस्टर मिला है। हिंदी, ऊर्दू के पर्चों पर लिखा है कि दीपावली पर आ रहे हैं घर। इसके अलावा कुछ पर्चों पर नक्शे भी बने हंै। फिलहाल पर्चों की जांच चल रही है कि जो नक्शा उसमें बनाया गया है, वह कहीं आतंकियों के उस ठिकाने का तो नहीं जहां वे एनकाउंटर के दौरान छिपे थे। इस पर्चे और नक्शे के बाद इस आशंका को भी बल मिल गया कि आतंकी भागने की प्लानिंग लंबे समय से कर रहे थे। बैरक से सूखा गोश्त भी बरामद हुआ है। जेल प्रबंधन ये भी पता कर रहा है कि सूखा गोश्त अंदर कैसे पहुंचाया गया।
नहीं था सर्किल गार्ड
बताया जा रहा है कि घटना वाले दिन रविवार को बी ब्लॉक में सर्किल गार्ड नहको, जिसके चलते ब्लॉक की चैकिंग के लिए गए प्रहरियों रमाशंकर यादव और चंदन सिंह को अंदर लॉक करना प़$डा और चाबी उनके पास थी। जिसे हासिल कर आतंकी ताला खोलकर बाहर तक निकल गए थे। यदि सर्किल गार्ड होता तो वो बाहर से लॉक करके रखता, ऐसे में यदि आतंकी वहां तक आ भी जाते तो उससे आगे नहीं जा पाते और मौजूद सर्किल गार्ड उनके भागने की प्रयास की सूचना अन्य अधिकारियों को दे देता।
नए जेल गार्ड से पूछते थे ट्रेनिंग में क्या-क्या सीखे
भर्ती हुए नए जेल गार्ड से आतंकी उनकी ट्रेनिंग के बारे में भी जानकारी लेते थे। वे उनसे यह जानने की कोशिश करते थे कि वे कितनी तेज दौ़ड सकते हैं, एक बार में कितने लोगों को पक़$डे रख सकते हैं। मालूम हो कि भोपाल सेंट्रल जेल में 70 नए प्रहरियों की भर्ती पिछले दिनों हुई है।

लापरवाही के वो 45 मिनट

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रविवार रात सेंट्रल जेल में सुरक्षा व्यवस्था किस कदर ताक पर रख दी गई थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिमी आतंकियों के एक जेल प्रहरी को किडनैप करने तो दूसरे की हत्या कर फरार हो जाने 45 मिनट बाद जेल प्रशासन को पूरे घटनाक्रम का पता चला। यदि समय रहते जेल प्रबंधन सतर्क हो जाता, तो जेल प्रहरी रमाशंकर यादव को जान न गंवानी प़$डती और ना ही आतंकी जेल से बाहर निकलने में सफल हो पाते। ये खुलासा हुआ उस रात जेल प्रहरी चंदन सिंह के बयान से जो उसने गांधी नगर पुलिस थाने में दिए। एफआईआर नंबर 270 में दर्ज चंदन सिंह ने बताई यह कहानी -
'मैं चंदन सिंह भोपाल सेंट्रल जेल में पदस्थ हूं। 30 तारीख की रात रोजाना की तरह 2:00 बजे ड्यूटी पर पहुंचा। बी ब्लॉक में तैनात था। रूटीन की चेकिंग के लिए मैं बैरक नंबर 19 के पास पहुंचा, तो बैरक में बंद तीन आरोपियों ने मुझे पक़ड लिया। मेरा मुंह दबाकर मेरे हाथ-पैर कप़डे से बांधे और मुंह पर एक कप़डा ठूंस दिया। इसके बाद मुझे बैरेक नंबर 19 में डालकर आरोपी भाग गए। कुछ देर बाद मुझे रमाशंकर यादव की चीख सुनाई दी। मुझे पक़डने वाले आतंकी बैरक नंबर 19, 20 और 21 के थे। करीब 45 मिनट बाद जेल में तैनात चार पुलिसकर्मी बैरक में आए और मेरे हाथ खोले। इसके बाद हमने बैरेक नंबर 13 में जाकर देखा तो रमाशंकर यादवजी मृृत अवस्था में प़डे थे और बी ब्लॉक में बंद सभी 8 आतंकी फरार हो चुके थे।'

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