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Madhya Pradesh: इंदौर में मस्जिद व मुसाफिरखाने के नाम पर पुलिस की जमीन पर 41 साल से कब्जा

Madhya Pradesh इंदौर में पुलिस के नाम आवंटित बेशकीमती सरकारी जमीन पर मस्जिद और मुसाफिरखाने की आड़ में वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जा करने का एक मामला सामने आया है।41 साल पहले हुए इस कब्जे की शिकायत हुई तो प्रशासन हरकत में आया और कमेटी बनाकर जांच शुरू की।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 17 Jun 2022 09:57 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jun 2022 09:57 PM (IST)
Madhya Pradesh: इंदौर में मस्जिद व मुसाफिरखाने के नाम पर पुलिस की जमीन पर 41 साल से कब्जा
इंदौर में मस्जिद व मुसाफिरखाने के नाम पर पुलिस की जमीन पर 41 साल से कब्जा। फाइल फोटो

इंदौरा, लोकेश सोलंकी। मध्य प्रदेश के इंदौर में पुलिस के नाम आवंटित बेशकीमती सरकारी जमीन पर मस्जिद और मुसाफिरखाने की आड़ में वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जा करने का एक मामला सामने आया है। स्वामित्व के दस्तावेज देखे बिना नगर तथा ग्राम निवेश (टीएंडसीपी) विभाग और नगर निगम ने निर्माण की अनुमति दे दी। 41 साल पहले हुए इस कब्जे की शिकायत हुई तो प्रशासन हरकत में आया और खामोशी से एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर जांच शुरू कर दी गई है।

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लिखित शिकायत

करीब 20 दिन पहले टीएंडसीपी और प्रशासन के पास एक लिखित शिकायत पहुंची। इसके अनुसार प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल महाराजा यशवंत राव अस्पताल (एमवायएच) के पीछे खसरा क्रमांक 12 की 3400 वर्गफीट जमीन पर मस्जिद की प्रबंध समिति यानी इंतेजामिया कमेटी ने मुसाफिरखाना बनाकर कब्जा कर लिया है। शिकायतकर्ता अभिषेक चौहान ने टीएंडसीपी पर आरोप लगाया कि इंतेजामिया कमेटी ने जमीन के मालिकाना हक के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए, इसके बावजूद 18 अप्रैल, 1981 को उसे निर्माण की मंजूरी दी गई।

जताई आपत्ति

1981 से 1986 तक लगातार तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आरएल वर्मा ने कलेक्टर से निगमायुक्त तक को पत्र लिखकर आपत्ति भी जताई थी। उन्होंने लिखा था कि आसपास बने सरकारी आवास और जमीन सीआरपी लाइन के नाम से पुलिस के स्वामित्व की है। इसका स्वामित्व गृह विभाग के पास है, फिर भी न केवल निर्माण की अनुमति दी गई, बल्कि अवैध निर्माण और कब्जे को बरकरार रखा गया। शिकायतकर्ता ने इसे भूमि जिहाद बताते हुए पुरानी सरकार और प्रशासन द्वारा पास किए नक्शे निरस्त कर निर्माण ढहाने की मांग की है।

रिकार्ड देखेंगे

विभाग को शिकायत मिली थी। प्रशासन ने उच्च स्तरीय कमेटी बना दी है। इसमें निगम, टीएनसीपी और जिला प्रशासन के अधिकारी शामिल हैं। ज्यादा जानकारी रिकार्ड देखकर दे सकूंगा।

- एसके मुद्गल, संयुक्त संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश।

जांच होगी तो दस्तावेज देंगे

पहले हमारे पास आर्थिक अपराध शाखा से भी नोटिस आया था। हमने दस्तावेज, नक्शे और पुराने कोर्ट के फैसले जमा करवा दिए थे। वे संतुष्ट भी हो गए। आगे कोई जांच होती है तो दस्तावेज उन्हें दे देंगे। संपत्ति वक्फ बोर्ड की है। मैं तो सिर्फ प्रबंध समिति का अध्यक्ष हूं, जो बेहतर व्यवस्था के लिए तैनात हूं।

- सैयद शाहिद अली, सदर इंतेजामिया कमेटी।


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