मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे का लंबी बीमारी के बाद निधन
मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को दोपहर में निधन हो गया। उनका मुंबई के हीरानंदानी हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। शुक्रवार को उनकी पार्थिव देह ग्वालियर लाई जाएगी।
भोपाल। मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को दोपहर में निधन हो गया। उनका मुंबई के हीरानंदानी हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। शुक्रवार को उनकी पार्थिव देह ग्वालियर लाई जाएगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नन्द कुमार चौहान ने कटारे के निधन पर दुःख व्यक्त किया है। चौहान ने कहा है कि कटारे ने राजनीति में मापदंडों की स्थापना की। उनके निधन से मप्र को अपूरणीय क्षति हुई है।
व्यापमं घोटाले में सरकार की कर दी थी नींद हराम
कटारे ने व्यापमं घोटाले में सरकार की नींद उड़ाकर रख दी थी। ऐसा पहली बार हुआ था, जब कटारे के आरोपों का जवाब देने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खुद मीडिया के सामने आना पड़ा था। वाक्या जुलाई 2014 का है। कटारे ने व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग उठाकर शिवराज पर आरोपों की बौछार कर दी थी। जब तक, कटारे विधानसभा सत्र के दौरान सदन में मौजूद रहे, तब तक व्यापमं मामले में सरकार बचाव की मुद्रा में रही।
कटारे ने शिवराज सिंह के बारे में कहा था कि,'शिवराज सिंह ने कभी नर्मदा में खड़े होकर अविवाहित रहने की कसम खाई थी, उसका क्या हुआ?' इसके साथ ही उन्होंने शिवराज के परिवार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया था। इस पर शिवराज सिंह को जवाब देना पड़ा था कि,'यदि मेरे ऊपर या परिवार पर लगे घोटाले के आरोप साबित हो जाते हैं, तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा।'
कटारे अपने पीछे पत्नी मीरा देवी के अलावा दो पुत्र और एक पुत्री छोड़ गए हैं। कटारे धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उन्हें धर्म ग्रंथों में विशेष रुचि थी। कटारे को संगीत सुनने, तैरने और घूमने-फिरने का शौक था।
कटारे जब घायल हुए
जुलाई 2015 में व्यापमं घोटाले को लेकर विधानसभा के मानसून सत्र में सदन के बाहर ही कांग्रेस और भाजपा विधायकों के बीच धक्का-मुक्की हो गई थी। इसमें कटारे घायल हो गए थे।
धुरंधर नेताओं में थे शुमार
कटारे का जन्म 15 फरवरी 1955 को मप्र के भिंड जिले के मनेपुरा (अटेर) में हुआ था। वे लॉ पोस्ट ग्रेजुएट थे। अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कटारे ने युवा कांग्रेस के साथ की थी। 1985 से 1990 तक वे मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के सचिव रहे। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के कार्यकाल में 1989 से 1990 तक वे मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के सचिव रहे। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के कार्यकाल में 1989 से 1990 तक वे परिवहन और जेल के सहायक मंत्री रहे। 1993 से 1995 तक वे मध्यप्रदेश के गृह राज्यमंत्री रहे।1995 से 1998 के दौरान वे मध्यप्रदेश के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रहे। 2003 से 2008 तक वे भिंड के अटेर क्षेत्र के विधायक रहे।
लोकसभा के 1999 और 2004 के चुनावों में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। 2008 में भिंड के अटेर क्षेत्र से उन्होंने विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा और इस चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2013 के चुनाव में वे विजयी रहे।