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Madhavrao Scindia Sanctuary in MP: मध्य प्रदेश में अब माधवराव सिंधिया के नाम पर बनेगा अभयारण्य

Madhavrao Scindia Sanctuary in MP ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता व देश के चर्चित राजनीतिज्ञ रहे माधवराव सिंधिया के नाम पर अभयारण्य बनेगा। इसके लिए 19279 हेक्टेयर वनभूमि को चिन्हित किया गया है। इस एरिया में एक भी गांव नहीं है जिससे विस्थापन को लेकर होने वाली परेशानियां भी नहीं होंगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 03 Jan 2022 06:12 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jan 2022 06:12 PM (IST)
Madhavrao Scindia Sanctuary in MP: मध्य प्रदेश में अब माधवराव सिंधिया के नाम पर बनेगा अभयारण्य
मध्य प्रदेश में अब माधवराव सिंधिया के नाम पर बनेगा अभयारण्य। फाइल फोटो

श्योपुर, जेएनएन। मध्य प्रदेश में अब एक और नया अभयारण्य बनाया जाएगा। यह श्योपुर में होगा और इसका नाम केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता व देश के चर्चित राजनीतिज्ञ रहे माधवराव सिंधिया के नाम पर होगा। इसके लिए 19,279 हेक्टेयर वनभूमि को चिन्हित किया गया है। इस एरिया में एक भी गांव नहीं है, जिससे विस्थापन को लेकर होने वाली परेशानियां भी नहीं होंगी। सामान्य वन विभाग ने इसे सेंक्चुरी बनाने के लिए 16 सितंबर, 2019 को प्रस्ताव भेजा था। तब मध्य प्रदेश में कमल नाथ की सरकार थी। सरकार बदलने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। अब केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रयास से इसमें फिर तेजी आई है। श्योपुर में इससे पहले ही कूनो-पालपुर नेशनल पार्क भी है। शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क से वन्यजीव कूनो और राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व के लिए आते-जाते हैं। शिवपुरी से कूनो और कूनो से रणथंभौर के बीच का क्षेत्र सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे में वन्यजीवों को आने-जाने में खतरा रहता है। अभयारण्य बनने से शिवपुरी के माधव, कूनो और रणथंभौर के बीच कारीडोर बन जाएगा। वन्यजीव बिना किसी व्यवधान के एक पार्क से दूसरे पार्क में आ-जा सकेंगे। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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गौरतलब है कि माधवराव कांग्रेस से पहले जनसंघ में रह चुके हैं। उन्होंने मां विजयाराजे सिंधिया की उपस्थिति में 23 फरवरी, 1970 को 101 रुपये सदस्यता शुल्क जमा करके जनसंघ की सदस्यता ली थी। अगले ही साल 1971 में माधवराव ने जनसंघ के टिकट पर गुना से लोकसभा का चुनाव जीता था। बाद में वे कांग्रेस में चले गए। वे लगातार नौ चुनाव जीते। सिंधिया रेल राज्यमंत्री, नागरिक विमानन और पर्यटन मंत्री तथा मानव संसाधन विकास मंत्री भी रहे। यह भी अजीब संयोग था कि 1984 में ग्वालियर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी माधवराव सिंधिया के सामने भाजपा से अटल बिहारी वाजपेयी थे। सिंधिया ने वाजपेयी को हराकर जीत हासिल की थी।

ग्वालियर के मुरार में आयोजित कार्यक्रम में स्वयं अटलजी ने माधवराव की सदस्यता की पर्ची काटी थी। रसीद में सिंधिया की उम्र 25 वर्ष और व्यवसाय खेती लिखा था। 1993 में जब मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी, तब माधवराव सिंधिया ने पार्टी में उपेक्षित होकर कांग्रेस को अलविदा कह दिया था और अपनी अलग पार्टी मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस बनाई थी। हालांकि बाद में वे कांग्रेस में वापस लौट गए थे। वहीं, 1967 में जब मध्य प्रदेश में डीपी मिश्रा की सरकार थी तब कांग्रेस में उपेक्षित होकर राजमाता विजयराजे सिंधिया कांग्रेस छोड़कर जनसंघ से जुड़ गई थीं और जनसंघ के टिकट पर गुना लोकसभा सीट से चुनाव भी जीती थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने पिता और दादी की तरह कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।


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