Move to Jagran APP

Madhya Pradesh: नामीबिया से लाए गए दो चीते कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए, जंगल में घूमकर शिकार करते दिखे चीते

Madhya Pradesh मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए दो नर चीते छोड़े गए हैं। फिलहाल जंगल में कुल 20 चीते हैं। 13 मार्च को एक नर चीता ओबन और एक मादा चीता आशा ने एक खुले जंगल में एक हिरण का शिकार किया था।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariPublished: Thu, 23 Mar 2023 10:20 AM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2023 10:20 AM (IST)
Madhya Pradesh: नामीबिया से लाए गए दो चीते कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए, जंगल में घूमकर शिकार करते दिखे चीते
कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए दो चीते

श्योपुर, एएनआई। एल्टन और फ्रेडी नाम के दो नर चीतों को बुधवार को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में मुक्त क्षेत्र में सफलतापूर्वक छोड़ दिया गया है। कूनो नेशनल पार्क की ओर से ट्वीट करते हुए इस बात की जानकारी दी गई है। कूनो नेशनल पार्क ने ट्वीट किया, "एल्टन और फ्रेडी, दो नर चीतों को आज शाम 6.30 बजे कूनो में मुक्त क्षेत्र में सफलतापूर्वक छोड़ा गया है। दोनों अच्छे और स्वस्थ लग रहे हैं।" आपको बता दें कि अब कूनो में अब कुल 20 चीते हैं।

loksabha election banner

24 घंटे के भीतर किया शिकार

अधिकारियों ने कहा था कि 13 मार्च को एक नर चीता ओबन और एक मादा चीता आशा ने 24 घंटे के भीतर कूनो नेशनल पार्क के एक खुले जंगल में एक चीतल (हिरण) का शिकार किया था। श्योपुर डीएफओ, प्रकाश कुमार वर्मा ने कहा कि दोनों चीते 24 घंटे के भीतर शिकार पर गए हैं और दोनों जंगल के वातावरण में घुलमिल रहे हैं।

जंगल में पर्याप्त सुविधाएं

जंगल में उनके शिकार के लिए पर्याप्त जानवर हैं और पानी की व्यवस्था भी सुचारू है। मंडल वन अधिकारी प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि कल सुबह नर चीता ओबन को और शाम को मादा चीता आशा को खुले जंगल में छोड़ दिया गया। इसी तरह अन्य चीतों को भी एक-एक करके बाड़े से छोड़ा जाएगा।

'प्रोजेक्ट चीता' के तहत आए थे 8 चीता

पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आठ चीतों को छोड़ा था। 1952 में चीता को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था, लेकिन 8 चीता (5 मादा और 3 नर) अफ्रीका के नामीबिया से 'प्रोजेक्ट चीता' के हिस्से के रूप में भारत लाए गए थे। इसके जरिए देश के वन्य जीवन और आवास को पुनर्जीवित करने और विविधता लाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है।

एमओयू के तहत लाए गए

अंतर-महाद्वीपीय चीता स्थानान्तरण परियोजना के तहत आठ चीतों को एक मालवाहक विमान से ग्वालियर लाया गया था। बाद में, भारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टरों ने चीतों को ग्वालियर वायु सेना स्टेशन से कूनो राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंचाया। चीतों को इस साल की शुरुआत में हुए एमओयू के तहत लाया गया है।

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना चीता के तहत, प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) के दिशानिर्देशों के अनुसार जंगली प्रजातियों विशेष रूप से चीता का पुनरुत्पादन किया गया था।

भारत में वन्यजीव संरक्षण का लंबा इतिहास

भारत में वन्यजीव संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है। सबसे सफल वन्यजीव संरक्षण उपक्रमों में से एक 'प्रोजेक्ट टाइगर' ने न केवल बाघों के संरक्षण में बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में भी योगदान दिया है। इसे 1972 में बहुत पहले शुरू किया गया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.