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MP News: पत्नी के अंतिम संस्कार में पीड़ा हुई तो आखिरी यात्रा के लिए सोने के रंग का बनवा दिया स्वर्ग रथ

MP News- मप्र के छतरपुर का समर्पण क्लब सभी धर्म समुदाय के लोगों को अंतिम यात्रा के लिए उपलब्ध करवाता है रथ स्वर्ग रथ को स्वर्ण रंग का बनवाया गया है। इसमें पार्थिव शरीर को ससम्मान रखने के साथ-साथ स्वजन के बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान है।

By Jagran NewsEdited By: Vinay Kumar TiwariPublished: Tue, 29 Nov 2022 06:02 PM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 06:02 PM (IST)
MP News: पत्नी के अंतिम संस्कार में पीड़ा हुई तो आखिरी यात्रा के लिए सोने के रंग का बनवा दिया स्वर्ग रथ
MP News: पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के लिए लेकर जाएगा।

छतरपुर, अब्बास अहमद। MP News: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का समर्पण क्लब अपने नाम के अनुरूप सभी जाति-धर्म के लोगों को अंतिम यात्रा के लिए वाहन उपलब्ध कराता है। इस वाहन का नाम स्वर्ग रथ रखा गया है। वर्ष 2020 में कोविड महामारी में जब पार्थिव शरीर को कंधा देने से पहले लोग एक-दूसरे की शक्ल देखते थे, ऐसे समय में अंतिम यात्रा में आदर का भाव बनाए रखने के लिए 18 लाख रपये से ज्यादा खर्च कर स्वर्ग रथ तैयार करवाया गया। 

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समर्पण क्लब के अध्यक्ष जयनारायण अग्रवाल बताते हैं एक जून 2020 को पत्नी गायत्री देवी अग्रवाल का निधन हुआ। पत्नी के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए जिस वाहन में लेकर गए उसे देखकर पीड़ा हुई। यह पीड़ा मन में चुभ रही थी। ऐसे में शोकसभा में सहयोगी बैठने आए तो उन्हें मन की बात बताई।

आज के भागमभाग युग में अंतिम यात्रा में शामिल होने ज्यादातर लोग वाहनों से पहुंचते हैं। पार्थिव शरीर को कंधा देने के लिए लोग एक-दूसरे का मुंह ताकते हैं। तय किया कि ऐसा वाहन होना चाहिए, जो पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के लिए लेकर जाएगा। कोविड महामारी काल में ही स्वर्ग रथ तैयार कराया।

सामाजिक सद्भाव का संदेश देता है रथ

समर्पण क्लब के अध्यक्ष जयनारायण अग्रवाल कहते हैं कि स्वर्ग रथ सभी समाज, जातियों के लोगों को उपलब्ध कराया जाता है। रथ पर हिंदू-मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्मों के लोगों के बीच सद्भाव को बनाए रखने के लिए स्लोगन भी लिखवाए गए हैं।

यह स्लोगन सामाजिक सद्भाव का संदेश देने के साथ-साथ देश सेवा के लिए प्रेरणा देने वाले हैं। स्वर्ग रथ को स्वर्ण रंग का बनवाया गया है। इसमें पार्थिव शरीर को ससम्मान रखने के साथ-साथ स्वजन के बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान है। उन्होंने बताया कि समर्पण क्लब की शुरआत वर्ष 2004 में हुई थी।


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