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    MP में 108 एंबुलेंस सेवा पर 5.72 लाख फर्जी कॉल्स, कोई मजे के लिए करता फोन, तो कोई ब्रेकअप का दुखड़ा सुनाता

    By Mukesh VishwakarmaEdited By: Ravindra Soni
    Updated: Sun, 02 Nov 2025 01:29 PM (IST)

    मध्य प्रदेश में 108 एम्बुलेंस सेवा पर 5.72 लाख झूठी कॉल्स आईं। कुछ लोग मजे के लिए तो कुछ ब्रेकअप की बातें करने के लिए कॉल करते थे, जिससे ज़रूरतमंदों को एम्बुलेंस मिलने में देरी हुई। इन फर्जी कॉल्स से एम्बुलेंस सेवा पर नकारात्मक असर पड़ा है, और ज़रूरतमंदों तक मदद पहुंचने में बाधा आई।

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    एंबुलेंस सेवा (प्रतीकात्मक चित्र)

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में जीवनरक्षक 108 एंबुलेंस सेवा से जुड़े लोग मजाकिया और फर्जी कॉल्स करने वालों से बुरी तरह परेशान हैं। पिछले छह महीनों में 5.72 लाख से अधिक कॉल ऐसे मिले, जो न तो किसी मरीज के लिए थे और न किसी आपात स्थिति के। कोई कॉलर अपने ब्रेकअप का दुखड़ा सुनाने लगता है, तो कोई सिर्फ मजे के लिए बार-बार फोन कर परेशान करता है।

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    इन शरारती कॉल्स की वजह से न केवल कॉल सेंटर का स्टाफ उलझा रहता है, बल्कि बीते छह माह में ऐसी हरकतों की वजह से एंबुलेंस के करीब 1500 घंटे व्यर्थ चले गए, जो असली मरीजों की जिंदगी बचाने में काम आ सकते थे।

    अब फर्जी कॉलर्स पर दर्ज होगी FIR

    सेवा संचालित करने वाली एजेंसी जय अंबे हेल्थकेयर के सीनियर मैनेजर तरुण सिंह परिहार के मुताबिक, अब ऐसे कॉलर्स के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला लिया गया है।जो लोग जानबूझकर 108 पर फर्जी कॉल करते हैं, उनके खिलाफ अब सीधे एफआईआर दर्ज की जाएगी। उनकी हरकतें गंभीर मरीजों की मदद में देरी कर रही हैं।

    एंबुलेंस बुलाकर गायब हो जाते हैं लोग

    कोलार रोड की एक हालिया घटना इसका उदाहरण है। एक व्यक्ति ने कॉल सेंटर को फोन कर कहा कि उसकी तबीयत खराब है। एंबुलेंस टीम 15 मिनट में उसके घर पहुंची, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। जब कॉल बैक किया गया तो उसने कहा अब इसकी जरूरत नहीं है। ऐसे फर्जी कॉल रोजाना मिल रहे हैं और हर बार एंबुलेंस का कीमती समय और ईंधन दोनों बर्बाद हो रहे हैं।

    कॉलर्स की पहचान के लिए शुरू हुई स्टडी

    कॉल सेंटर के अनुसार, कई नंबर ऐसे हैं जो 150 से 200 बार तक फर्जी कॉल कर चुके हैं। इनमें ज्यादातर नशे की हालत में युवक या बच्चे शामिल हैं। कई बार ये कॉलर्स महिला स्टाफ को परेशान करते हैं या अभद्र बातें करते हैं।
    अब एजेंसी ने ऐसे नंबरों की पहचान करने के लिए एक विशेष स्टडी शुरू की है, ताकि आगे कानूनी कार्रवाई की जा सके।

    सेवा पर पड़ रहा गंभीर असर

    फर्जी कॉल्स के कारण कॉल सेंटर की लाइनें कुछ सेकंड के लिए ब्लॉक हो जाती हैं, जिससे किसी असली मरीज की इमरजेंसी कॉल मिस हो सकती है। कई बार एंबुलेंस को 50 से 60 किलोमीटर तक बेकार दौड़ना पड़ता है, जिससे वास्तविक मरीजों तक देर से पहुंचने का खतरा बढ़ जाता है।

     

    एक फर्जी कॉल किसी जरूरतमंद की जान पर भारी पड़ सकता है। जब तक एंबुलेंस वापस लौटती है, तब तक कोई और व्यक्ति संकट में होता है।
    तरुण सिंह परिहार, सीनियर मैनेजर, जय अंबे हेल्थकेयर