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मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक घंटे की बारिश ने खोला पोल, 30 करोड़ खर्च करने के बावजूद उफनने लगे नाले, सड़कें बनी तालाब

monsoon in Gwaliorयह स्थिति तब है जबकि नगर निगम ने नाला सफाई के लिए चार में से दो पोकलेन मशीनें ठेके पर ली हैं। इन पर सालाना 48 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। नाला सफाई गैंग में 60 कर्मचारियों के वेतन पर करीब 2 लाख रुपये खर्च होते हैं।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 13 Jul 2022 03:36 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jul 2022 03:36 PM (IST)
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक घंटे की बारिश ने खोला पोल, 30 करोड़ खर्च करने के बावजूद उफनने लगे नाले, सड़कें बनी तालाब
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक घंटे की बारिश ने खोला पोल,

ग्वालियर, प्रियंक शर्मा। मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में मंगलवार काे एक घंटे तक हुई वर्षा में ही शहर की सड़कें तालाब बन गईं। अलग-अलग इलाकों में जलभराव की समस्या देखने को मिली, क्योंकि निकासी न होने के कारण ये पानी सड़कों पर ही भर गया। इससे वाहन चालकों और स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके अलावा पिछले पांच सालों में सफाई के नाम पर 30 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद शहर के नाले उफनने लगे हैं। बरसात के मौसम से पहले नगर निगम के अमले को जिन नाले-नालियों को साफ करना था, उनमें अब भी कचरा भरा हुआ है।

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मंगलवार को हुई बारिश से शहर के कई इलाकों में पानी भर गया। मानसून सक्रिय हो चुका है, लेकिन नालों की सफाई के लिए निगम ने न तो अभियान छेड़ा है और न ही अफसर जलभराव की समस्या के निराकरण के लिए चिंतित नजर आ रहे हैं। शहर के नालों की साफ सफाई को लेकर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। उसके बाद भी शहर में बारिश का पानी सड़कों पर भरने लगता है।

शहर के मुरार, थाटीपुर, नाका चंद्रबदनी व गोल पहाड़िया रोड के साथ शहर के कई इलाकों की सड़काें व कालोनियों में भी पानी भरना तय है। वहीं, शहर के सैनिक कालोनी, कंपू के नाले-नालियोंं की अभी तक सफाई नहीं हुई है। थाटीपुर स्थित नाला गंदगी से भरा पड़ा है। नाले-नालियों की सफाई नहीं होने से यह बारिश में नगर निगम और आमजन के लिए मुसीबत बनेंगे।

मालूम हो कि वर्तमान में बहोड़ापुर से सागर ताल चौराहा, रामाजी के पुरा, सीता मैनोर होटल से मुरार श्मशान घाट, इंद्रमणि नगर, महलगांव सिटी सेंटर से थाटीपुर, नाका चंद्रबदनी आदि इलाकों में अक्सर बरसात का पानी सड़कों पर भरने की शिकायतें आती हैं। यह स्थिति तब है, जबकि नगर निगम ने नाला सफाई के लिए चार में से दो पोकलेन मशीनें ठेके पर ली हैं। इन पर सालाना 48 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। नाला सफाई गैंग में 60 कर्मचारियों के वेतन पर करीब 2 लाख रुपये खर्च होते हैं। 


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