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    शर्मनाक हकीकत... पराली जलाने के मामले में मप्र नंबर वन, पंजाब को भी पीछे छोड़ा

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 12:45 PM (IST)

    मध्य प्रदेश में रबी सीजन की तैयारियों के बीच पराली जलाने की घटनाएं तेज़ी से बढ़ रही हैं, जिससे राज्य इस मामले में पंजाब से भी आगे निकल गया है। ICAR की रिपोर्ट के अनुसार, 15 सितंबर से 13 नवंबर 2025 तक मध्य प्रदेश में सबसे ज़्यादा पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए। सरकार किसानों को जागरूक करने और सब्सिडी देने का प्रयास कर रही है, लेकिन घटनाओं में कमी नहीं आ रही है।

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    खेतों में जलाई जा रही पराली (प्रतीकात्मक चित्र)।

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबी सीजन की तैयारियों के बीच मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं तेज़ी से बढ़ रही हैं। 13 नवंबर की रात तक राज्य ने इस मामले में पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है। देशभर में दर्ज हुई कुल पराली जलाने की 15,002 घटनाओं में से सबसे ज़्यादा 5,146 मामले मध्य प्रदेश से सामने आए हैं, जबकि पंजाब 4,734 घटनाओं के साथ दूसरे स्थान पर रहा।

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    सरकार की अपीलों, जागरूकता अभियानों और कई जिलों में एफआईआर तक दर्ज करने के बावजूद पराली जलाने पर रोक नहीं लग पा रही है। स्थिति यह है कि सिर्फ 13 नवंबर को ही देशभर में हुई 1,209 घटनाओं में से 709 मामले अकेले मप्र के थे, जबकि पंजाब में यह संख्या 72 रही।

    भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की रिपोर्ट के अनुसार, 15 सितंबर से 13 नवंबर 2025 के बीच पूरे देश में 15,002 पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड हुईं। इसमें मप्र पहले, पंजाब दूसरे और उत्तर प्रदेश (2,783) तीसरे स्थान पर रहा। पिछले वर्ष भी यही स्थिति थी—2024 में 14 सितंबर से 14 नवंबर के बीच मप्र में सबसे अधिक 8,017 घटनाएं दर्ज हुई थीं।

    इसलिए बढ़ रहा पराली जलाना

    इस वर्ष अतिवर्षा के कारण खरीफ की बोवनी देरी से हुई, कुछ क्षेत्रों में दोबारा बोवनी करनी पड़ी, और कटाई भी देर से पूरी हुई। मजदूरी और मशीनरी का खर्च बढ़ने के कारण किसान हार्वेस्टर से धान कटवाने के बाद खेत जल्दी खाली करने के लिए अवशेष में आग लगा रहे हैं, ताकि चना, गेहूं और अन्य रबी फसलों की बुवाई समय से हो सके।

    पराली न जलाने की अपील, सब्सिडी भी जारी

    • सरकार किसानों को समझा रही है कि पराली जलाने से मिट्टी के पोषक तत्व खत्म होते हैं और उत्पादन क्षमता घटती है।
    • इसके विकल्प के रूप में हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, मल्चर, रीपर जैसे उपकरणों पर 50% तक सब्सिडी दी जा रही है।
    • 2025-26 में कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय को ऐसे 1,928 आवेदन मिले हैं।
    • पराली एकत्र कर प्लांट भेजने वाली बड़ी मशीनों पर 65% तक अनुदान दिया जा रहा है। ट्राइडेंट व वर्धमान जैसी कंपनियां किसानों से पराली भी खरीद रही हैं।

    आठ दिन में पराली जलाने की 4,393 घटनाएं

    मध्य प्रदेश में 6 से 13 नवंबर के बीच मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में तेज़ उछाल आया। छह नवंबर को 354, सात को 237, आठ को 353, नौ को 398, 10 को 422, 11 को 1,052, 12 को 868 और 13 नवंबर को 709 घटनाएं सामने आईं। इस प्रकार देखें तो सैटेलाइट के माध्यम से आठ दिनों में प्रदेश में 4,393 घटनाएं दर्ज हुई हैं।

     

    इन जिलों में अधिक घटनाएं

    जिला- घटनाएं
    नर्मदापुरम- 928
    सिवनी- 721
    अशोक नगर- 346
    सतना- 307
    दतिया- 282
    रायसेन- 221
    जबलपुर- 196
    सीहोर- 192
    ग्वालियर- 18