मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य जहां बनेगी साइबर तहसील, अविवादित नामांतरण के मामलों का तेजी से होगा निराकरण
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में भू-राजस्व संहिता में संशोधन विधेयक को विधानसभा में प्रस्तुत करने की दी अनुमति क्रेता और विक्रेता को नामांतरण करने के लिए तहलसील कार्यालय की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। आनलाइन उपस्थिति भी मान्य हो जाएगी।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में अब साइबर तहसील की स्थापना की जाएगी। राज्य सरकार के प्रवक्ता गृह मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा ने कैबिनेट के निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि भूमि के अविवादित नामांतरण के मामले क्रेता और विक्रेता की भौतिक उपस्थिति की वजह से लंबित हो जाते हैं जिसकी वजह से क्रेता को काफी परेशानी होती। इसे देखते हुए ही राज्य में साइबर तहसील बनाने का निर्णय लिया गया है। इसमें तहसीलदार की नियुक्ति की जाएगी। दो जिलों के लिए एक साइबर तहसील का निर्माण किया जा सकता है। इससे भूमि के अविवादित नामांतरण के प्रकरण में तेजी से निराकरण किया जा सकेगा। क्रेता और विक्रेता को नामांतरण करने के लिए तहलसील कार्यालय की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। आनलाइन उपस्थिति भी मान्य हो जाएगी। अगर इस पर आपत्ति नहीं हुई तो तहसीलदार नामांतरण आदेश पारित कर देंगे। इसी प्रकार गौण खनिज और अवैध खन मामलों में राजस्व नहीं खनिज विभाग की ओर से कार्रवाई की जाएगी।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भू-राजस्व संहिता में बदलाव के लिए विधेयक पेश किया जाएगा। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में में राजस्व विभाग के प्रस्ताव को अनुमति दी गई, साथ ही शाजापुर में 25 नवंबर को डेढ़ हजार मेगावाट के सौर ऊर्जा पार्क का शिलान्यास किया जाएगा। यहां एक हजार 307 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा जिसे सरकार खरीदेगी।
कृषि के लिए पट्टे पर दी भूमि बेच सकेंगे
कृषि उपयोग के लिए पट्टे पर दी गई भूमि को अब बेचा जा सकेगा, भू-राजस्व संहिता के संशोधन में ये प्रस्तावित किया जा रहा है। ज्ञात हो कि पट्टा मिलने के दस साल बाद भूमिस्वामी अधिकार मिल जाता है। इस अवधि से पहले भूमि का अंतरण हो सकता है लेकिन पूर्व कलेक्टर की अनुमति से। हालांकि कुछ मामलों में प्रविधान के विपरीत जाकर भी भूमि का अंतरण हो चुका है। ऐसे में क्रेता से भूमि के बाजार मूल्य 5 प्रतिशत राशि को लेकर विधिमान्य किया जाएगा। इससे पट्टे की भूमि जिस पर भूस्वामी का अधिकार है उसके अंतरण का रास्ता भी खुल जाएगा।