मध्य प्रदेश सरकार ने नर्सिंग होम एक्ट में किया बड़ा बदलाव, बंद हो सकते हैं निजी अस्पताल
Nursing Home Act मध्य प्रदेश सरकार राज्य में नया नर्सिंग होम एक्ट लागू कर दिया है जिसके बाद अब आयुष (आयुर्वेद होम्योपैथी यूनानी और सिद्धा) चिकित्सक एलोपैथी का नर्सिंग होम नहीं खोल पाएंगे और न ही एलोपैथी चिकित्सक भी आयुष का नर्सिंग होम नहीं खोल पाएंगे।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में अब आयुष (आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और सिद्धा) चिकित्सक एलोपैथी का नर्सिंग होम नहीं खोल पाएंगे और न ही एलोपैथी चिकित्सक भी आयुष का नर्सिंग होम नहीं खोल पाएंगे। दरअसल मध्य प्रदेश सरकार ने नर्सिंग होम एक्ट में बड़ा बदलाव किया है। राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित होने के बाद 13 अक्टूबर से नया नर्सिंग होम एक्ट लागू हो गया है। इस एक्ट में ये भी तय किया गया है कि रेसीडेंट डाक्टर सिर्फ एक अस्पताल में ही सेवा दे सकेगा। 1973 से लागू पुराने एक्ट में ये स्पष्ट नहीं था इसका फायदा उठाते हुए डॉक्टर कई अस्पतालों में नाम दर्ज करवा लेते थे। नए एक्ट के लागू होने से पहले से संचालित निजी अस्पतालों के बंद होने की भी नौबत आ सकती है।
इससे बचने के लिए इन अस्पतालों को नए एक्ट के अनुसार नवीनीकरण करवाना होगा। पिछले दिनों भोपाल में नर्सिंग होम की जांच में यह बात सामने आयी थी कि यहां के रेजीडेंट डाक्टर एक साथ कई अस्पतालों में अपना नाम दर्ज करवा लेते हैं।
लागू की गई नई व्यवस्था
- डाक्टर, नर्स या अन्य कर्मचारी जिसने भी अपनी जानकारी पंजीयन को दी है उनके नौकरी छोड़ने की जानकारी भी सीएमएचओ को देना अनिवार्य होगा।
- पहले नर्सिंग होम के पंजीयन की फीस 10 बिस्तर के लिए पहले 600 रुपये थी, जिसे बढ़ाकर अब 3000 रुपये कर दिया गया है।
- 100 बिस्तर वाले नर्सिंग होम में 25 प्रतिशत बिस्तर पर ऑक्सीजन रखना अनिवार्य किया गया है।
- 20 या उससे कम बिस्तर वाले नर्सिंग होम में एक रेजीडेंट डॉक्टर का होना अनिवार्य है।
ओपीडी में 50 से अधिक मरीज होने पर एक डॉक्टर का होना अनिवार्य
- रेसीडेंट डाक्टर के नाम व योग्यता की जानकारी रिसेप्शन पर आम लोगों के लिए प्रदर्शित की जाएगी।