मध्य प्रदेश में अंग्रेजी स्कूल बने मजाक, हिंदी माध्यम के शिक्षक पढ़ाते हैं अंग्रेजी
मध्य प्रदेश सरकार एक तरफ सरकारी स्कूलों को कॉन्वेंट स्कूलों की तरह बनाना चाहती है। लेकिन अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अंग्रेजी के शिक्षकों की कमी है।
भोपाल [ मनोज तिवारी ]। मध्य प्रदेश में चल रहे 454 सरकारी अंग्रेजी स्कूल मजाक बनकर रह गए हैं। इनमें न तो अंग्रेजी माध्यम में पढ़ा सकने वाले शिक्षकों की नियुक्ति हुई है और न ही दो साल में छात्रों की संख्या बढ़ी है। हालात यह हैं कि अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के बच्चों को एक ही कक्ष में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में दोनों माध्यम के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इन स्कूलों में वर्तमान में 19 हजार 718 बच्चे पढ़ रहे हैं।
निजी स्कूलों से बराबरी के लिए सरकार ने वर्ष 2015 में दो अलग-अलग योजनाओं के तहत 454 सरकारी अंग्रेजी स्कूल खोले हैं। इनमें पढ़ने वाले बच्चों का माध्यम कागजों में भले ही बदल गया हो,पढ़ाने वाले शिक्षक हिंदी माध्यम के ही हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी, तो शिक्षकों ने हिंदी और अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को साथ बैठाकर पढ़ाना शुरू कर दिया। दो साल बाद विभाग को समझ आया है कि ये शिक्षक अंग्रेजी पढ़ाने में सक्षम नहीं हैं।
शिक्षकों की न भर्ती हुई, न प्रशिक्षण
सूत्र बताते हैं कि इन स्कूलों के लिए पिछले दो साल में अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की भर्ती का फैसला तक नहीं लिया गया। यही नहीं, वर्तमान में पढ़ा रहे शिक्षकों को अंग्रेजी में पढ़ाने का प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया। बस, उन्हें अतिरिक्त काम सौंप दिया। एक ही कक्षा में दोनों माध्यम के बच्चों को साथ बैठाकर पढ़ाई होने के कारण बच्चे न तो हिंदी में पढ़ पा रहे हैं और न ही अंग्रेजी में। ज्यादातर शिक्षक भी हिंदी माध्यम के ही हैं।
अंग्रेजी माध्यम के 734 स्कूल खुलने थे
प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम के कुल 734 स्कूल खोले जाने हैं। इनमें से वर्तमान में 454 ही खुले। राज्य सरकार ने 224 अंग्रेजी माध्यम के उत्कृष्ट स्कूल और शहरी क्षेत्र के 20 किमी के दायरे में 10-10 (यानी प्रदेश में 510) अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलने की स्वीकृति दी थी। जिसमें से क्रमश: 219 और 235 स्कूल खोले गए हैं।
यह मामला राजनीतिक लोगों को संतुष्ट करने का है। यह दिखाने का है कि सरकार गरीबों की भी परवाह कर रही है। यहां तो शिक्षक भी ढंग से हिंदी नहीं जानते। सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिए। वरना, बच्चे न हिंदी लायक रहेंगे और न अंग्रेजी लायक-प्रो. रमेश दवे, शिक्षाविद्
यह स्थिति सही है। अब हम अंग्रेजी माध्यम के शिक्षक तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे मॉडल और उत्कृष्ट स्कूलों के लिए शिक्षकों का चयन होता है, वैसी ही व्यवस्था इन स्कूलों के लिए करेंगे-दीपक जोशी, राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग
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