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Madhya Pradesh: दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करने के लिए दोबारा होगी सुनवाई

Madhya Pradesh दिग्विजय सिंह की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ गलत बयान देने के मामले में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विशेष सत्र न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें दिग्विजय सिंह को मानहानि के लिए दोषी नहीं माना गया था।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 09:29 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 09:29 PM (IST)
Madhya Pradesh: दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करने के लिए दोबारा होगी सुनवाई
दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करने के लिए दोबारा होगी सुनवाई। फाइल फोटो

ग्वालियर, जेएनएन। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ गलत बयान देने के मामले में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विशेष सत्र न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें दिग्विजय सिंह को मानहानि के लिए दोषी नहीं माना गया था। विशेष सत्र न्यायाधीश सुशील कुमार जोशी ने आदेश दिया है कि विचारण न्यायालय पुन: इस मामले की सुनवाई करे। परिवादी व उनके अधिवक्ता ने जो तर्क दिए हैं, उनका विश्लेषण कर पुन: आदेश पारित करे। परिवादी को 30 मई को अपने अधिवक्ता के साथ न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां उपस्थित होना होगा। यदि परिवादी साक्ष्यों के आधार पर मामला साबित करने में कामयाब होता है तो दिग्विजय सिंह के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दर्ज हो सकता है।

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जानें, क्या है मामला

अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने विशेष सत्र न्यायालय में न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि 31 अगस्त, 2019 को दिग्विजय सिंह ने भिंड में कार्यक्रम के दौरान कहा था कि एक बात मत भूलिए, जितने भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करते पाए गए हैं, वे भाजपा, आरएसएस व बजरंग दल से पैसे ले रहे हैं। एक बात और बताता हूं कि पाकिस्तान के आइएसआइ के लिए जासूसी मुसलमान कम कर रहे हैं, गैर मुसलमान ज्यादा कर रहे हैं। वे भाजपा के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। तर्क था कि इस बयान से परिवादी की मानहानि हुई है। दिग्विजय सिंह की ओर से अधिवक्ता संजय शुक्ला ने तर्क दिया कि पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच में यह बात कही गई। इससे किसी की मानहानि नहीं हुई है। परिवादी ने तर्क दिया कि विचारण न्यायालय ने तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया, आवेदन को खारिज कर दिया। इससे व्यथित होकर अपील दायर की गई है। विशेष कोर्ट ने पाया कि प्रथम दृष्टया संगठन की मानहानि करने के पर्याप्त साक्ष्य दिख रहे हैं, इसलिए 11 जनवरी 2020 को न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जो आदेश दिया था, उसे निरस्त किया जाता है। फिर से इस केस की सुनवाई करें।  


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