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Happy Doctor's Day 2022: मध्यप्रदेश के इंदौर में डाक्टरों की कमी, डेढ़ हजार लोगों पर है एक डाक्टर

Doctors Day 2022 इंदौर में आइएमए के लगभग 2500 सदस्य हैं। यहां लगभग हर डेढ़ हजार जनसंख्या पर एक डाक्टर है। प्रदेश में हालात इससे भी खराब हैं। सात करोड़ की जनसंख्या पर डाक्टरों की संख्या दस हजार भी नहीं है।

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 12:26 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 12:26 PM (IST)
Happy Doctor's Day 2022: मध्यप्रदेश के इंदौर में डाक्टरों की कमी, डेढ़ हजार लोगों पर है एक डाक्टर
Happy Doctor's Day 2022: मध्यप्रदेश के इंदौर में डाक्टरों की कमी,

इंदौर, जेएनएन । डॉक्टर्स डे 2022:-  दो साल बाद आज यानी एक जुलाई को डाक्टर्स डे मनाया जाएगा। दो साल से कोरोना से दो-दो हाथ कर रहे डाक्टर इस दिन एक-दूसरे को बधाई देंगे और सेवा का संकल्प दोहराएंगे। पर ऐसे में ये जनना भी जरुरी है कि मध्यप्रदेश के इंदौर में डाक्टरों की कमी लोगों के परेशानी का सवाब बना है। दरअसल इंदौर में डेढ़ हजार लोगों पर एक डाक्टर है, जबकि जरूरत इससे कहीं ज्यादा की है। हर वर्ष डाक्टर दिवस किसी न किसी थीम पर आधारित होता है। इस वर्ष की थीम है - फैमिली डाक्टर आन दी फ्रंट लाइन। व्यक्ति किसी भी बीमारी से पीड़ित हो सबसे पहले वह फैमिली डाक्टर के पास ही पहुंचता है।

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जानकारी हो कि इंदौर में आइएमए के लगभग 2500 सदस्य हैं। यहां लगभग हर डेढ़ हजार जनसंख्या पर एक डाक्टर है। प्रदेश में हालात इससे भी खराब हैं। सात करोड़ की जनसंख्या पर डाक्टरों की संख्या दस हजार भी नहीं है।

वहीं , कुछ दशक पहले तक फैमिली डाक्टर परिवार के वरिष्ठ सदस्य की तरह हुआ करते थे। वे न सिर्फ इलाज करते थे बल्कि परिवार के छोटे-मोटे विवाद सुलझाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे, लेकिन कुछ सालों से परिस्थितियां बदली हैं। डा.शुक्ला ने बताया कि आज हर व्यक्ति विशेषज्ञ डाक्टर की तलाश करता है। यह सही नहीं है। यूरोप और अमेरिका में फैमिली डाक्टरों को बढ़ावा देने के लिए फैमिली पीजी कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। हमारे देश में ऐसा कोई कोर्स नहीं है।

मालूम हो कि डाक्टर्स डे मनाने की शुरुआत एक जुलाई 1991 से हुई है। कोरोना के चलते दो साल से यह दिवस नहीं मनाया जा सका था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की इंदौर ब्रांच के अध्यक्ष के अनुसार इंदौर में कोरोना की वजह से एक दर्जन डाक्टरों की मौत हुई, लेकिन इनमें से कुछ के स्वजन को ही मुआवजा मिला। दरअसल शासन ने सिर्फ उन्हीं डाक्टरों के स्वजन को मुआवजा दिया जो शासकीय अस्पतालों में सेवा कर रहे थे। निजी अस्पतालों में संक्रमित हुए डाक्टरों को फ्रंटलाइन वर्कर ही नहीं माना गया। 


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