Madhya Pradesh: मप्र में न्यासों और राजनीतिक दलों को मिला फर्जी दान, 3000 लोगों को भेजा नोटिस
Madhya Pradesh एक खनन कंपनी पर छापों के दौरान कंपनियों के लिए काम करने वाले एक सीए ने स्वीकार किया था कि दान के जरिये कर बचाने का खेल किया जाता है। इसमें धार्मिक सामाजिक न्यासों के साथ राजनीतिक दलों के नाम पर भी दान दिखाया जाता है।
इंदौर, जेएनएन। मध्य प्रदेश में आयकर विभाग ने दान के नाम पर काली कमाई करने वालों पर कार्रवाई की है। सालभर पहले इंदौर व भोपाल समेत प्रदेश में हुई आयकर छापों की कार्रवाई से इसके तार जुड़ रहे हैं। छापों के दौरान इंदौर के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के कार्यालय से कई संस्थाओं के रसीद कट्टे मिले थे। इसके बाद विभाग ने रसीदों के आधार पर संस्थाओं को दान देकर कर में छूट लेने वाले करदाताओं को धारा 148 यानी संदिग्ध लेन-देन के मामले में नोटिस जारी किया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, पूरे प्रदेश में ऐसे लोगों (नोटिसों) की संख्या लगभग 3000 है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2021 में एक खनन कंपनी पर छापों के दौरान कंपनियों के लिए काम करने वाले एक सीए ने स्वीकार किया था कि दान के जरिये कर बचाने का खेल किया जाता है। इसमें धार्मिक, सामाजिक न्यासों के साथ राजनीतिक दलों के नाम पर भी दान दिखाया जाता है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट के कार्यालय से मिले थे रसीद कट्टे
धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं के दान पर कम, जबकि राजनीतिक दल को किए दान पर सौ प्रतिशत की छूट आय में मिल जाती है। ऐसे में राजनीतिक दलों को दान दिखाकर छूट हासिल करने के लोभ में कई लोग रहते हैं। इस खेल में कथित दानराशि का 10 से 15 प्रतिशत दलाली काटकर रुपया वापस भी मिल जाता है। सीए स्वप्निल जैन के अनुसार, केंद्र सरकार ने बीते दिनों आयकर के नियमों में बदलाव कर दान देकर कर बचाने की आड़ में काली कमाई जुटाने की राह रोक दी है। विभाग ने इसी साल से पारमार्थिक संस्थाओं और दान लेने वाली तमाम संस्थाओं के लिए एक अलग प्रारूप में दान का हिसाब देना आवश्यक कर दिया है। इनमें धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं तो सम्मिलित हैं, लेकिन राजनीतिक दलों को छोड़ दिया गया है, जबकि वे भी खुद को मिले दान पर धारा 80 (जी) के तहत आयकर की छूट प्राप्त करते हैं। 31 मई तक ऐसी संस्थाओं को भी एक प्रारूप 10 (बीडी) में खुद को मिले दान और दानदाता का विवरण देना आवश्यक कर दिया गया है।
इन्हें भेजा गया नोटिस
बीते दिनों जो नोटिस जारी किए गए, वे सब पुराने मामलों के हैं। जिन-जिन करदाताओं ने उनकी रसीदें अपने आयकर रिटर्न में लगाई थीं, उन सभी को नोटिस भेजा जा रहा है। चार से पांच हजार करोड़ रुपये की प्रविष्टियां फर्जी राजनीतिक दल और न्यास के नाम पर इंदौर से ही बीते चार-पांच वर्षों में चार से पांच हजार करोड़ रुपये की प्रविष्टियां दिखाई जा चुकी हैं। सीए ब्रांच इंदौर के पूर्व अध्यक्ष सीए पंकज शाह के अनुसार पुराने नियमों में इन संस्थाओं पर निगरानी की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। लिहाजा प्रविष्टि देने वाले और छूट लेने वाले बचकर जा चुके हैं। अब चुनिंदा और गिनती के मामले ही आयकर की पकड़ में आ रहे हैं, जिनकी रसीदें किसी न किसी छापे या कार्रवाई के दौरान कहीं से मिली थीं।