Tiger In MP: मध्य प्रदेश के इन वन क्षेत्रों में पहली बार मिले बाघ की उपस्थिति के प्रमाण
Tiger In MP मध्य प्रदेश में आधा दर्जन ऐसे वन क्षेत्रों में बाघों की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं जिनमें इससे पहले बाघ नहीं देखे गए थे। वहीं तीन ऐसे वन क्षेत्र भी हैं जिनमें बाघों की उपस्थिति वाली बीटों की संख्या बढ़ गई है।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में बाघ आकलन-2022 के सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगे हैं। 17 से 23 नवंबर तक चले पहले चरण में आधा दर्जन ऐसे वन क्षेत्रों में बाघों की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं, जिनमें इससे पहले (दो दशक से) बाघ नहीं देखे गए थे। वहीं, तीन ऐसे वन क्षेत्र भी हैं, जिनमें बाघों की उपस्थिति वाली बीटों की संख्या बढ़ गई है। प्रदेश में बाघ आकलन का पहला चरण जनवरी 2022 तक चलेगा। अब देश में सबसे ज्यादा बाघों की मौत के कारण मध्य प्रदेश को कर्नाटक से कड़ी चुनौती मिल सकती है। फिर भी उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश दूसरी बार भी राज्य बाघों के मामले में सिरमौर बनेगा। इस आत्मविश्वास को जंगल से आ रही खबरों से बल मिलता है।
इन जिलों में मिले बाघों की उपस्थिति के प्रमाण
सात दिन जंगल में चले बाघों की उपस्थिति के प्रमाण तलाश करने के सर्वे में खंडवा, श्योपुर, शिवपुरी, रामपुर भतौड़ी बैतूल, उत्तर और दक्षिण सिवनी, देवास और पन्ना के बाहरी क्षेत्र (टाइगर रिजर्व छोड़कर) में बाघों की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं। प्रदेश में 83 क्षेत्रों में सर्वे होना है और अभी 26 में हुआ है। बाघ आकलन-2018 में दक्षिण सिवनी वनमंडल की 40 बीटों में बाघों की उपस्थिति का पता चला था। इस बार बाघ उपस्थिति वाली बीटों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है। शावक गिने गए तो 700 का आंकड़ा मध्य प्रदेश में इस बार 700 बाघ गिने जा सकते हैं, पर सारा दारोमदार एक साल उम्र के शावकों की गिनती पर निर्भर करेगा। यदि पिछली साल की तरह इस बार भी एक साल तक के शावकों की गिनती होती है, तो प्रदेश इस आंकड़े को छू सकता है।
बाघ प्रदेश होन का गौरव कायम रखने में सफल होंगेः आलोक कुमार
इस बीच, मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक आलोक कुमार ने कहा कि बाघ आकलन के प्रारंभिक परिणाम सुखद हैं। उम्मीद है कि हम बाघ प्रदेश होने का गौरव कायम रखने में सफल रहेंगे।