Madhya Pradesh: मप्र में 230 विधायकों में से 97 पर आपराधिक प्रकरण दर्ज
Madhya Pradesh मध्य प्रदेश इलेक्शन वाच की राज्य समन्वयक रोली शिवहरे ने बताया कि कुछ प्रकरणों का निराकरण हुआ है लेकिन विधायकों के विरुद्ध मामले अभी भी बने हुए हैं। उधर पूर्व मंत्री तरुण भनोत ने बताया कि उनके विरुद्ध दर्ज तीन प्रकरण का निराकरण हो चुका है।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश के 230 विधायकों में से 97 पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। इनमें से 47 के विरुद्ध गंभीर प्रकरण हैं। यह जानकारी मध्य प्रदेश इलेक्शन वाच की राज्य समन्वयक रोली शिवहरे ने दी और बताया कि कुछ प्रकरणों का निराकरण हुआ है, लेकिन विधायकों के विरुद्ध मामले अभी भी बने हुए हैं। उधर, पूर्व मंत्री तरुण भनोत ने बताया कि उनके विरुद्ध दर्ज तीन प्रकरण का निराकरण विशेष न्यायालय से हो चुका है। गौरतलब है कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने नेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामलों के त्वरित निपटारे के लिए अंतरिम आदेश के जरिये 17 दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनमें गंभीर अपराधों के लिए 90 दिनों की समयसीमा और शिकायतकर्ताओं की जिंदगी व हितों की रक्षा के लिए गवाह सुरक्षा योजना का क्रियान्वयन शामिल है।
नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों में यह है स्थिति
सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की त्वरित सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर आदेश जारी किए हैं। वर्ष 2017 में सांसदों-विधायकों के लंबित आपराधिक मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए राज्यों में विशेषष कोर्ट गठित करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। जानें, क्या व्यवस्था बनाई गई थी और कितने मामले सांसदों, विधायकों और नेताओं के खिलाफ लंबित हैं।
यह है ताजा स्थिति
-सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के केस में सहायता के लिए नियुक्त न्याय मित्र विजय हंसारिया ने इस वर्ष के आरंभ में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि दो वषर्ष में सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या 4,122 से बढ़कर 4,984 हो गई है।
-न्याय मित्र की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्ष में 862 ऐसे मामलों की वृद्धि हुई है। त्वरित सुनवाई की व्यवस्था के बावजूद सांसदों और विधायकों के खिलाफ 4,984 मामले लंबित हैं, जिनमें से 1,899 मामले पांच वषर्ष से अधिक पुराने हैं।
-4,984 लंबित मामलों में से 3,322 मैजिस्टि्रयल मामले हैं, जबकि 1,651 सत्र मामले हैं। 1,475 ऐसे मामले हैं जो दो से पांच वर्ष से लंबित हैं।
-पिछले वषर्ष अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ कोई मुकदमा वापस नहीं लिया जाएगा।
-केंद्र सरकार के कानून व न्याय मंत्रालय के अधीन आने वाले डिपार्टमेंट आफ जस्टिस की वेबसाइट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि उन राज्यों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई के लिए विशेषष कोर्ट गठित की जाएं जहां ऐसे मामलों की संख्या 65 या इससे अधिक हो।
-इस आदेश के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली में दो व उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई के लिए एक-एक विशेष अदालत का गठन किया था।