गैस त्रासदी पर कोर्ट ने कहा- हजारों लोग मर रहे थे और कलेक्टर, एसपी अपराधी को भगा रहे थे
गैस त्रासदी के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को भोपाल से फरार कराने के आरोप में राजधानी की सीजेएम कोर्ट ने तत्कालीन कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया है।
भोपाल, ब्यूरो। गैस त्रासदी के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को भोपाल से फरार कराने के आरोप में राजधानी की सीजेएम कोर्ट ने तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा- 'मामले में प्रस्तुत साक्ष्यों और दस्तावेजों से प्रथम दृृष्टया दर्शित हो रहा है कि जहरीली गैस रिसाव में भोपाल के अंदर हजारों लोग मर रहे थे और जिले के मुखिया कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक अपनी बुद्घि और पूरे सिस्टम का उपयोग, आम जनता को बचाने के बजाय एक अपराधी को भगाने के लिए कर रहे थे। मोती सिंह और स्वराज पुरी के कृृत्य से दर्शित होता है कि उनके खिलाफ भारतीय दण्ड विधान की धारा 212, 217 और 221 के तहत प्रकरण दर्ज किया जाए।'
यह टिप्पणी सीजेएम भू-भास्कर यादव ने शनिवार को भोपाल गैस पी़डत संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार और एडवोकेट शाहनवाज हुसैन द्वारा पेश परिवाद की सुनवाई करते हुए की। आरोपियों को नोटिस जारी करते हुए 8 दिसंबर को पेश होने को कहा गया है। यह पहला मौका होगा जब गैस त्रासदी को लेकर सरकारी अफसरों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण में सुनवाई की जाएगी। मामले में अन्य दस्तावेजों के साथ ही कोर्ट ने मोती सिंह द्वारा लिखी भोपाल गैस त्रासदी का सच और भोपाल गैस त्रासदी 25 साल नामक पुस्तकों को भी इस आदेश में आधार बनाया है।
क्या है मामला
वारेन एंडरसन को 7 जून 2010 को कोर्ट द्वारा दोषी और फरार घोषित करते ही तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और एसपी स्वराजपुरी के खिलाफ भी आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के आग्रह के साथ अब्दुल जब्बार और शाहनवाज हुसैन ने 15 जून 2010 को सीजेएम कोर्ट में परिवाद पेश किया था।
मैं टिप्पणी नहीं करूंगा
-मैं इलाज के सिलसिले में अभी भोपाल से बाहर हूं। कोर्ट में कई परिवाद लगे हैं, इस मामले में कोर्ट ने क्या निर्णय सुनाया है उससे मैं बिल्कुल वाकिफ नहीं हूं। इसलिए अभी मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा-स्वराज पुरी, सेवानिवृृत पुलिस महानिदेशक।
गुनाहगार उजागर तो हुए
-32 साल बाद ही सही भोपाल के गुनहगार को भगाने वालों पर अदालत के आदेश पर मुकदमा दर्ज तो किया गया है। लेकिन इस बात का अफसोस है कि जिन लोगों ने एंडरसन को भगाया उन्हें निर्देश देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह आज जीवित नहीं हैं और मौजूदा सरकार उन्हें अदालत में खींचकर नहीं ला पाई-अब्दुल जब्बार, याचिकाकर्ता।
आगे क्या
कोर्ट की ओर से नोटिस जारी होने के बाद दोनों को जमानत करानी होगी। 8 दिसंबर को कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखना होगा। या, इस आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालत में दोनों अपील कर सकते हैं। यदि अपील नहीं होती है तो आरोपी पक्ष से क्रॉस होने के बाद कोर्ट में दोनों पर दोषष सिद्ध करने के लिए अगले 3 माह में ट्रॉयल शुरू हो सकती है।
क्या है आदेश -
अदालत ने आईपीसी की तीन धाराओं में दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। यदि तीनों धाराओं में वे दोषी साबित होते हैं, तो अधिकतम 7 साल तक की सजा हो सकती है।
- आईपीसी 212 - अपराधी ([एंडरसन)] को शरण देने के लिए। - सजा- अधिकतम 5 साल
- आईपीसी 217 - किसी अपराधी को दंड से बचाने के लिए जानबूझकर कानून की अवहेलना करना। सजा - अधिकतम 2 साल
- आईपीसी 221 - लोकसेवक होने के बावजूद अपराधी को गिरफ्तारी से बचाने और भगाने में मदद के लिए जानबूझकर चूक करना। सजा - अधिकतम 7 साल
डाऊ केमिकल्स पर फैसला 21 को
इधर यूनियन कार्बाइड कारखाने को खरीदने वाली कंपनी डाऊ केमिकल्स को मामले में आरोपी बनाए जाने संबंधी फैसला सोमवार 21 नवंबर को आएगा। सीजेएम कोर्ट ने शनिवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख दिया है। इस मामले में केंद्र सरकार के माध्यम से डाऊ केमिकल्स को चार बार नोटिस भेजा जा चुका है लेकिन कंपनी ने अब तक कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा है।