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आदिवासी महिलाओं के आत्मनिर्भर होने की कहानी सुकून देगी, मप्र के श्योपुर में खोला भोजनालय

रेस्टोरेंट को स्वसहायता समूह की नौ महिलाएं मिलकर चला रही हैं। समूह की महिलाओं द्वारा आदिवासी व्यंजनों के साथ समोसा कचौरी इमरती बेड़ई जलेबी दाल-बाफले लड्डू-बाटी मक्का ज्वार बाजरे की रोटी दाल-पनिया के अलावा राजस्थानी खाना भी परोसा जाता है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 06:34 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 06:34 PM (IST)
आदिवासी महिलाओं के आत्मनिर्भर होने की कहानी सुकून देगी, मप्र के श्योपुर में खोला भोजनालय
मप्र के श्योपुर में स्वसमूह की महिलाओं द्वारा संचालित भोजनालय प्रसादम।

मनोज श्रीवास्तव, श्योपुर: आदिवासी महिलाओं के आत्मनिर्भर होने की यह कहानी सुकून देती है। मध्य प्रदेश के आदिवासी जिला श्योपुर में महिलाओं के संगठन द्वारा शुरू किया गया स्थानीय व्यंजनों का रेस्टोरेंट खूब चल रहा है। महज चार माह पहले महिलाओं द्वारा एएम-प्रसादम (भोजन एवं रेस्टोरेंट) का संचालन शुरूकिया गया था। रेस्टोरेंट को स्वसहायता समूह की नौ महिलाएं मिलकर चला रही हैं। समूह की महिलाओं द्वारा आदिवासी व्यंजनों के साथ समोसा, कचौरी, इमरती, बेड़ई, जलेबी, दाल-बाफले, लड्डू-बाटी, मक्का, ज्वार, बाजरे की रोटी, दाल-पनिया के अलावा राजस्थानी खाना भी परोसा जाता है।

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बीच शहर में होने के कारण यहां लोग अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं। इससे रोजाना 10 से 12 हजार रुपये प्रतिदिन कमाई हो रही है। महिलाओं ने पांच लाख रुपये की लागत से 30 अगस्त 2021 को इसे शुरू किया था। अब तक करीब हजारों लोग प्रसादम में नाश्ता से लेकर खाना खा चुके हैं।

मार्ट की सफलता देखकर मिली प्रेरणा:

रेस्टोरेंट का संचालन जीवन ज्योति संकुल स्तरीय संगठन मानपुर द्वारा किया जा रहा है। समूह ने 19 फरवरी 2020 को शहर में शिवपुरी रोड पर ग्रामीण आजीविका नाम से मार्ट शुरू किया था। मार्ट में महिलाओं द्वारा तैयार वाशिंग पाउडर, कच्ची घानी का तेल, साबुन, चप्पल, अगरबत्ती, सेनेटरी नैपकिन, मसाले, जड़ीबूटी सहित कपड़ों की बिक्री की गई। इसमें महिलाओं को जबरदस्त सफलता मिली।

इसी से प्रेरणा लेकर महिलाओं ने मार्ट के बाहर एएम प्रसादम खोला है। चूंकि इन महिलाओं के पास मार्ट चलाने का अनुभव था, इसलिए जब उन्होंने रेस्टोरेंट खोलने के लिए कलेक्टर शिवम वर्मा से इच्छा व्यक्त की तो उन्होंने भी हिम्मत बंधाई और उन्हें ग्वालियर में आजीविका द्वारा संचालित रेस्टोरेंट का भ्रमण कराया। जिससे महिलाओं की हिचकिचाहट पूरी तरह से खत्म हो गई।

राजस्थानी साजसज्जा है:

समूह की महिलाओं ने आजीविका मार्ट के बाहर रेस्टोरेंट के हिस्से को बांस से आकर्षक राजस्थानी लुक दिया है। अंदर ग्राहकों के बैठने के लिए टेबल-कुर्सी रखी हैं। मार्ट में खरीदारी करने आने वाले अक्सर यहां नाश्ता या खाना खाकर जाते हैं। यही वजह है, कि महज तीन महीने में यहां बड़ी संख्या में ग्राहक आ चुके है।

दूसरों को भी दे रहीं रोजगार:

रेस्टोरेंट का संचालन समूह की पांच महिलाएं कर रही हैं। इसमें अध्यक्ष द्वारिकाबाई, कोषाध्यक्ष राममूर्ति, सचिव राधा शर्मा और सदस्य आशा बाई व सरोज बाई हैं। समूह की अध्यक्ष द्वारिका बाई का कहना है, कि रेस्टोरेंट में कुल 11 लोग काम करते हैं। इसमें स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के अलावा उनके स्वजन हैं। दो लोग राजस्थान से आए पाक विशेषज्ञ (नाश्ता-खाना बनाने में निपुण) हैंं। यहां काम करने वालों को छह हजार से लेकर 18 हजार रुपये तक प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है। समूह की महिलाएं इन विशेषज्ञों से विभिन्न तरीके से खाना बनाने की विधि भी सीख रही हैं।

तेल-मसाला भी महिलाएं ही करतीं तैयार:

मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन के डीपीएम डा. एसके मुदगल का कहना है, कि प्रसादम में खास बात यह है, कि यहां सब्जियों में डाला जाने वाले तेल से लेकर मसालों को समूह की अन्य महिलाओं से लिया जाता है। इससे इनमें किसी भी तरह की मिलावट की आशंका नहीं रहती है। गेहूं, बाजरा, बेजर, मक्का-ज्वार आदि को महिलाएं खुद ही साफकर चक्की भेजती हैंं। रोटी को चूल्हे पर ग्राहक के सामने सेंकती हैं। यही वजह है, कि यहां ग्राहक शुद्ध खाने की ललक में बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। उत्तर प्रदेश के झांसी निवासी सुग्रीव शर्मा एक निजी बैंक में नौकरी करते हैं। उनका कहना है, कि वह श्योपुर में दो साल से रह रहे हैं। खाना वह अक्सर ही बाहर खाते रहे हैं, लेकिन प्रसादम में बिल्कुल घर जैसे खाने का स्वाद होता है। यहां आदिवासियों का प्रिय व्यंजन दाल-पनिया, बाजरे की रोटी आसानी से मिल जाती है। इसलिए अब जब भी उन्हें बाहर खाना खाने की इच्छा होती है तो वह यहीं आते हैं।

सीएम भी कर चुके हैं तारीफ:

प्रसादम से अब तक महिलाओं को 15 लाख रुपये से अधिक की आय हुई है। इसमें पांच लाख रुपये समूह की महिलाओं सहित अन्य स्टाफ का वेतन बंट चुका है। इसके अलावा अन्य मदों में सात लाख रुपये खर्च हुए हैं। इस तरह तीन लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा समूह के खाते में जमा हुआ है। पिछले दिनों कलेक्टर-कमिश्नर की वीडियो कांफ्रेंस में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने समूह की महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे एएम प्रसादम की तारीफ कर उनका उत्साहवर्धन किया था।

एएम प्रसादम को समूह द्वारा संचालित किया जा है। इसमें दाल-पनिया के अलावा राजस्थानी व अन्य व्यंजन बना रहे हैं। हमारा प्रयास है कि लोगों को घर जैसा खाना खिलाएं।

-द्वारिका बाई, अध्यक्ष

प्रसादम बीच शहर में होने के कारण यहां लोग अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं। इससे महिलाओं को रोजाना 10 से 12 हजार रुपये प्रतिदिन कमाई हो रही है। पिछले दिनों वीसी में सीएम साहब ने भी महिलाओं की तरीफ की थी।

शिवम वर्मा, कलेक्टर, श्योपुर


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