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Bhopal Dhanteras News: धनतेरस पर बर्तन खरीदने की है परंपरा, पुराने दौर की धातुओं की ओर लौट रहे हैं लोग

स्वास्थ के लाभ देखते हुए लोग फिर से पुराने दौर की धातुओं की ओर लौट रहे हैं।जबकि एल्युमिनियम के बर्तनों की मांग घरेलु उपभोग में न के बराबर रह गई है। बर्तन कारोबारी के अनुसार पुराने दौर की पहचान रहे पीतल के बर्तन फिर से चलन में आ गए हैं।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 01:59 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 02:04 PM (IST)
Bhopal Dhanteras News: धनतेरस पर बर्तन खरीदने की है परंपरा, पुराने दौर की धातुओं की ओर लौट रहे हैं  लोग
धनतेरस पर बर्तन खरीदने की है परंपरा,

इंदौर, जेएनएन । कोरोना के दौर से ऊबरे बाजार में त्योहार की रौनक बनी रहे इसलिए दुकानदारों ने अपना मुनाफा कम करने का मन बना लिया है। कोयले से लेकर लोहे और बेस मेटल्स की महंगाई ने गृहस्थी के आम बर्तनों को भी कीमती बना दिया है। धनतेरस पर गहनों के अलावा बर्तनों की खरीद की पुरानी परंपरा रही है। इस दीवाली पर इस परंपरा पर भी महंगाई का प्रहार होता दिख रहा है। सोना-चांदी के दाम तो अब तक बीते साल के मुकाबले नरम बने हुए हैं लेकिन पीतल-तांबा से लेकर स्टेनलेस स्टील के दामों में खासा उछाल आ चुका है।

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मालूम हो कि बीते साल तक 170 से 200 रुपये के बीच दाम बने रहे। स्टेनलेस स्टील की महंगाई के पीछे वजह है लोहे से लेकर निकल और क्रोम जैसी धातुओं की कीमत बढ़ने के साथ कोयले और बिजली का भी महंगा हो जाना। लोहे के साथ इन धातुओं को मिलाकर स्टेनलेस स्टील बनता है। स्टील बनाने से लेकर बर्तन बनाने तक में कोयला या उर्जा भी खासी खर्च होती है। लिहाजा इस सब की महंगाई बर्तनों की लागत में जुड़ रही है। स्टेनलेस स्टील के बर्तनों में एक साल के भीतर पहली बार इतना उछाल देखा गया है।

इंदौर बर्तन निर्माता-विक्रेता व्यापारी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि स्टेनलेस स्टील के दामों में 100 रुपये किलो तक की वृद्धि हो चुकी है। स्टील का दाम 220 से 350 रुपये किलो तक पहुंच गया है। कोरोना के चलते खरीदी कम हुई थी और मार्च में लाकडाउन लगा था ऐसे में विक्रेताओं के पास पुराना स्टाक भी नहीं बचा है। ग्राहकों को राहत देने के लिए व्यापारियों ने तय किया है कि व्यापारी इस दीवाली पर अपना मुनाफा कम करके व्यापार करेंगे। पीतल और तांबे के भी दामों में जबरदस्त उछाल आया है। बीते साल 450 रुपये किलो बिकने वाला पीतल अब 700 रुपये किलो तक पहुंंच गया है। तांबा तो 1000 रुपये किलो है। बीते साल से तांबे के दाम दोगुने हो गए हैं।

दरअसल स्वास्थ के लाभ देखते हुए लोग फिर से पुराने दौर की धातुओं की ओर लौट रहे हैं। जबकि एल्युमिनियम के बर्तनों की मांग घरेलु उपभोग में न के बराबर रह गई है। बर्तन कारोबारी के अनुसार पुराने दौर की पहचान रहे पीतल के बर्तन फिर से चलन में आ गए हैं। स्टेनलेस स्टील के अलावा अब पीतल के बर्तनों में खासी मांग दिखाई दे रही है। पीतल के खाना पकाने के बर्तनों के साथ डिनर सेट की खरीदी खुब हो रही है। तांबे में भी पीने का पानी रखने करने के बर्तनों के कटोरी, चम्मच, बाटल और गिलास की मांग अच्छी है।

- इंदौर के परंपरागत बर्तन बाजार में धनतेरस पर बर्तनों से पूरे बाजार को सजाया जाता है

- 300 से ज्यादा बर्तन के कारोबारी इस बाजार में है

- 100 से 150 थोक कारोबारी और बर्तन निर्माता भी है

- दीवाली-धनतेरस पर बर्तन बाजार का में करीब डेढ़ करोड़ रुपये का कारोबार होता है

- प्रदेश के शहरों में भी इंदौर थोक बाजार से बर्तन जाते हैं 


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