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आदिवासी अधिकार यात्रा बिगाड़ेगी वोट बैंक का गणित

जयस संगठन के प्रमुख कहना है कि जयस सीधे तौर पर चुनाव मैदान में नहीं उतरेगा, लेकिन उन तमाम उम्मीदवारों को खुला समर्थन देगा जो हमारे एजेंडे पर चुनाव लड़ेगा।

By Srishti VermaEdited By: Published: Sat, 28 Jul 2018 12:37 PM (IST)Updated: Sat, 28 Jul 2018 01:46 PM (IST)
आदिवासी अधिकार यात्रा बिगाड़ेगी वोट बैंक का गणित
आदिवासी अधिकार यात्रा बिगाड़ेगी वोट बैंक का गणित

भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। भाजपा और कांग्रेस की तमाम सियासी यात्राओं के बीच आदिवासी संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) की प्रदेश व्यापी आदिवासी अधिकार यात्रा दोनों प्रमुख दलों के वोट बैंक के गणित बिगाड़ सकती है। जयस की अधिकार यात्रा 29 जुलाई से शुरू हो रही है जो सभी 47 आदिवासी सीटों पर पहुंच कर सामाजिक मुद्दों पर राजनीतिक जनजागरण करेगी। यात्रा का आगाज रतलाम से होगा, जो मालवा-निमाड़ की आदिवासी सीटों से होती हुई महाकोशल पहुंचेगी।

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दरअसल जयस लंबे समय से पांचवीं अनुसूची के मसले पर आदिवासियों को एकजुट करने में लगा हुआ है। झाबुआ, आलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, खंडवा के आदिवासी अंचलों में इस संगठन ने गहरी पैठ कर ली है। पिछले वर्ष इससे जुड़े छात्र संगठन ने महाविद्यालयीन चुनावों में भाजपा और कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठनों को पछाड़ते हुए परचम लहरा कर सभी को चौकाया था। जयस के बढ़ते वर्चस्व से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तक सचेत है। जयस के दावे पर यकीन करे तो संघ ने हमारे विरोध के कारण ही आदिवासियों को वनवासी कहना बंद कर दिया है। प्रदेश में आदिवासी आबादी लगभग 21 फीसदी है।

यह 21 फीसदी आबादी पहले कांग्रेस का तगड़ा वोट बैंक थी, लेकिन पिछले 15 सालों में भाजपा ने आदिवासी क्षेत्रों में अपने काम को विस्तार देकर कांग्रेस के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई है। आदिवासियों के लिए सुरक्षित 47 में से 32 सीटें भाजपा के पास और 15 सीटें कांग्रेस के पास है। यानी कांग्रेस से दोगुनी से ज्यादा सीटें भाजपा की है। यही नहीं, सामान्य वर्ग की 31 सीटें ऐसी हैं, जहां हार जीत का फैसला आदिवासी वोटर्स करते हैं। इस तरह देखा जाए तो सूबे की 78 सीटे आदिवासियों के प्रभाव की हैं। आदिवासी अधिकार यात्रा इन सीटों पर कांग्रेस भाजपा के एकाधिकार को तोड़ने के लिए हथौड़े का काम करेगी।

एजेंडे पर चुनाव लड़ने वाले को जयस देगा समर्थन
'जयस" कहने को तो गैर राजनीतिक संगठन है, लेकिन उसका मानना है कि सामाजिक बदलाव के लिए राजनीति एक माध्यम होती है। संगठन के प्रमुख डॉ. हीरा अलावा का कहना है कि जयस सीधे तौर पर चुनाव मैदान में नहीं उतरेगा, लेकिन उन तमाम उम्मीदवारों को खुला समर्थन देगा जो हमारे एजेंडे पर चुनाव लड़ेगा। यदि कांग्रेस और भाजपा के आदिवासी उम्मीदवार हमारे मुद्दों पर चुनाव लड़ते हैं तो हम उनको समर्थन देंगे। अपने एजेंडे के बारे में वे बताते हैं कि पहली और जरूरी मांग है 5वीं अनुसूची के सभी प्रावधानों को सख्ती से अविलंब लागू किया जाए। वन अधिकार कानून 2006 के सभी प्रावधानों को धरातल पर लागू कर जंगलों में रहने वाले आदिवासियों को स्थायी पट्टा दिया जाए। जयस के एजेंडे में यह भी शामिल है कि ट्रायबल सब प्लान के करोड़ों रुपए अनुसूचित क्षेत्रों में मौजूद समस्याओं जैसे भूखमरी गरीबी, कुपोषण, बेरोजगारी को दूर करने एवं शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं में खर्च किया जाए।

जयस के प्रभाव में युवा और पढ़ा-लिखा आदिवासी वर्ग
जयस के प्रभाव में युवा और पढ़ा-लिखा आदिवासी वर्ग ज्यादा है। मालवा से महाकोशल तक युवाओं की बड़ी फौज सोशल मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। महाकोशल में गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन जयस के साथ मिलकर अभियान को अंजाम देगा। रतलाम से शुरू होने वाली इस आदिवासी अधिकार यात्रा में युवाओं की बड़ी हिस्सेदारी रहेगी।

पहले से ही चल रही कई सियासी यात्राएं
सूबे में पहले से ही कई सियासी यात्राएं जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जन आशीर्वाद यात्रा पर हैं। अब तक इस यात्रा के चार-पांच चरण हो चुके हैं। शनिवार को भिंड, मुरैना, ग्वालियर की ओर उनकी यात्रा का रूख रहेगा। उनकी यात्रा के पीछे-पीछे कांग्रेस की जनजागरण यात्रा चल रही है। इस यात्रा का मकसद मुख्यमंत्री की घोषणाओं की पोल खोलना है। इसका नेतृत्व जीतू पटवारी कर रहे हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की न्याय यात्रा चल रही है। कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अलग अलग इलाकों में भ्रमण पर हैं। सितंबर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की भी यात्रा शुरू होने जा रही है। इसके लिए एक बस तैयार कराई गई है। चर्चा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस यात्रा में उनके साथ रह सकते हैं।


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