मार्गदर्शक की भूमिका में रहेंगे आडवाणी
बड़ी पारी का एजेंडा बनाकर केंद्र की सत्ता में आ रहे नरेंद्र मोदी की टीम में संभवत: चेहरे भी वैसे ही होंगे जो लंबा साथ दें। ऐसे में शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी किसी भी जिम्मेदारी से बंधे बिना राजग सरकार के लिए मार्गदर्शक की भूमिका में हो सकते हैं। वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी के लिए भी अभी कोई स्पष्ट भूमिका तय नहीं हुई है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बड़ी पारी का एजेंडा बनाकर केंद्र की सत्ता में आ रहे नरेंद्र मोदी की टीम में संभवत: चेहरे भी वैसे ही होंगे जो लंबा साथ दें। ऐसे में शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी किसी भी जिम्मेदारी से बंधे बिना राजग सरकार के लिए मार्गदर्शक की भूमिका में हो सकते हैं। वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी के लिए भी अभी कोई स्पष्ट भूमिका तय नहीं हुई है।
दिल्ली में प्रवास कर रहे मोदी ने सरकार गठन पर विचार-विमर्श तेज कर दिया है। रविवार को गुजरात भवन में अलग-अलग नेताओं से उनकी चर्चा होती रही। आडवाणी और जोशी के घर जाकर भी उन्होंने मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि आडवाणी सत्ता से बाहर रहेंगे। 87 वर्षीय आडवाणी के लोकसभा अध्यक्ष पद पर जाने की भी संभावना कम है।
सूत्रों की मानें तो पिछली लोकसभा में उपाध्यक्ष रहे आदिवासी नेता करिया मुंडा का रुतबा बढ़ सकता है। उन्हें अध्यक्ष बनाया जा सकता है। जीत के बाद वडोदरा में हुई पहली रैली में ही मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि वह लंबी पारी का खाका बनाकर आए हैं। ऐसे में उनकी टीम में भी ऐसे चेहरे दिखेंगे, जो उनके एजेंडा को समझकर लंबे समय तक काम कर सकें। कई युवा चेहरे होंगे।
हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों से लेकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार जैसे बड़े राज्यों तक ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जा सकती है जिनके पास प्रशासनिक अनुभव तथा योग्यता हो। दूसरी तरफ वृहत राजग का खाका भी तैयार हो रहा है। उन्होंने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता से फोन पर बात कर उन्हें बधाई दी। ध्यान रहे कि जयललिता ने आशा जताई थी कि मोदी सरकार के साथ उनके अच्छे रिश्ते रहेंगे।