Move to Jagran APP

अब मोदी सरकार, नमो लहर में बही कांग्रेस

ये तो हद ही हो गई। नरेंद्र मोदी की सुनामी में कांग्रेस समेत तमाम राज्यों के क्षत्रप ही नहीं उड़े। जातीय और सामाजिक समीकरण के किले भी ध्वस्त हो गए। बसपा, द्रमुक और रालोद जैसे दल तो अपना खाता तक नहीं खोल सके। जैसे नतीजे आए, उसके लिए सिर्फ तीन शब्द हैं। अद्भुत.! अविश्वसनीय.! .अकल्पनीय.! तीन दशक बाद नरेंद्र मोदी

By Edited By: Published: Sat, 17 May 2014 02:11 AM (IST)Updated: Sat, 17 May 2014 02:58 AM (IST)
अब मोदी सरकार, नमो लहर में बही कांग्रेस
अब मोदी सरकार, नमो लहर में बही कांग्रेस

नई दिल्ली, [राजकिशोर]। ये तो हद ही हो गई। नरेंद्र मोदी की सुनामी में कांग्रेस समेत तमाम राज्यों के क्षत्रप ही नहीं उड़े। जातीय और सामाजिक समीकरण के किले भी ध्वस्त हो गए। बसपा, द्रमुक और रालोद जैसे दल तो अपना खाता तक नहीं खोल सके। जैसे नतीजे आए, उसके लिए सिर्फ तीन शब्द हैं। अद्भुत.! अविश्वसनीय.! .अकल्पनीय.! तीन दशक बाद नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार भाजपा ने अकेले दम पर 272 सीटों से आगे पहुंचने का करिश्मा कर दिखाया। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस आधा दर्जन राज्यों में तो खाता ही नहीं खोल सकी और उसके ज्यादातर दिग्गज चुनावी मैदान में खेत रहे। खुद राहुल गांधी को अपनी सीट जीतने में पसीने छूट गए और अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की हैसियत भी हासिल करने में नाकाम रही। आलम यह है कि अब तक सरकारें गठबंधन से बनती थी लेकिन पहली बार विपक्ष को शक्ल देने के लिए गठबंधन की जरूरत पड़ेगी। बहरहाल, नतीजों के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी को फोन पर तो राहुल ने मीडिया के समक्ष उनको बधाई दी। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी देर रात मोदी को उनकी शानदार जीत के लिए बधाई दी।

loksabha election banner

आम चुनावों के दौरान पूरी सियासत को खुद पर केंद्रित रखने में सफल रहे मोदी ने राष्ट्रीय स्तर पर बिना भेदभाव और बिना किसी दबाव में आगे बढ़ने के अपने सुशासन के एजेंडे का संकेत भी दे दिया है। अपने सख्त फैसलों और किसी के दबाव में न आने की पहचान वाले मोदी को जनादेश भी खुलकर काम करने को मिला है। अपने नाम के बूते बहुमत से करीब एक दर्जन से ज्यादा सीटें लेकर आए मोदी के लिए न पार्टी में किसी से झुकने की जरूरत होगी और न ही गठबंधन की सियासत का उन पर दबाव होगा। अबकी बार मोदी सरकार.. और कांग्रेस मुक्त भारत.. जैसे नारों को जनमत ने हकीकत तक पहुंचा दिया। पहली बार किसी गैरकांग्रेसी सरकार को स्पष्ट बहुमत दिलाने का इतिहास रचने के बाद मोदी ने ट्वीट किया, 'यह भारत की जीत है। अच्छे दिन आने वाले हैं।' बाद में गुजरात के अपने संसदीय क्षेत्र वडोदरा के लोगों के बीच जाकर रैली की। वैसे मोदी की सुनामी में भी उनके करीबी और राष्ट्रीय नेता अरुण जेटली की अमृतसर सीट से हार ने भाजपा का मजा किरकिरा कर दिया।

आ गए अच्छे दिन

मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान की सभी कड़वाहट को पीछे छोड़कर राष्ट्रनिर्माण में जुटने का आह्वान किया। साथ ही जनता के सुर में सुर मिलाकर कहा, 'अच्छे दिन आ गए..।' गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चार कार्यकालों में एक भी दिन छुंट्टी न लेने का जिक्र कर मोदी ने देश के सर्वोच्च राजनीतिक पद पर भी कुछ इसी तरह से कार्य करने के संकेत दिए। इससे पहले दिल्ली में भाजपा की इस प्रचंड विजय के बाद पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने एलान किया कि शनिवार को संसदीय बोर्ड की बैठक होगी, उसके बाद संसदीय दल की बैठक की तारीख तय की जाएगी, जिसमें मोदी को नेता चुनने की औपचारिकता पूरी की जाएगी। इस औपचारिकता के बाद मोदी राष्ट्रपति से मिलकर नई सरकार का दावा पेश करेंगे और अगले हफ्ते ही नई सरकार अस्तित्व में आने की उम्मीद है। जिस तरह का जनमत है उसके बाद जाहिर है कि मोदी 'कम सरकार, ज्यादा काम' वाले अपने सिद्धांत को मनमाफिक बढ़ाने में सक्षम रहेंगे। मोदी की जबरदस्त विजय के बाद अब तक उन्हें वीजा देने से इन्कार करते रहे अमेरिका और पाकिस्तान समेत अन्य देशों से बधाइयों का तांता लग गया है।

नमोमय हिंदी राज्य

केंद्र की सत्ता तक भाजपा को पहुंचाने वाले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की अगुआई में पूरी हिंदी पंट्टी मोदीमय हो गई। भाजपा गठबंधन ने उत्तर प्रदेश में 73, बिहार में 31 तो राजस्थान की पूरी 25 और मध्य प्रदेश की 29 में 27 और छत्तीसगढ़ की 11 में 10 सीटें जीतकर सारे कीर्तिमान तोड़ दिए। सभी जातीय और सामाजिक समीकरण तोड़ हर वर्ग से मोदी के नाम पर भाजपा को वोट मिले। इसी का नतीजा रहा कि गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गोवा और उत्तराखंड में सभी सीटों पर कमल ही खिला। इसके अलावा पश्चिम बंगाल और दक्षिण के केरल व तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी भाजपा मजबूती से लड़ी और अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई। भाजपा ने न सिर्फ ऐतिहासिक सीटें पाईं, बल्कि पहली बार 30 फीसद से ज्यादा वोट भी सिर्फ अकेले दम हासिल किए। जम्मू-कश्मीर की लद्दाख और तमिलनाडु की कन्याकुमारी सीट पर परचम फहराकर एक तरह से पार्टी ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक जीत का स्वाद चखा।

कांग्रेसमुक्त भारत.

मोदी के कांग्रेसमुक्त भारत के नारे को देश की जनता ने जैसे सिर-माथे पर ले लिया। राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल और गोवा जैसे छह राज्यों व पांच केंद्रशासित प्रदेशों में 125 साल पुरानी पार्टी का खाता ही नहीं खुल सका। इतना ही नहीं पूरे देश में एक भी ऐसा राज्य ऐसा नहीं है, जहां कांग्रेस दहाई के अंक तक पहुंच सकी हो। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पार्टी सिर्फ दो-दो सीटें जीत सकी। यहां तक कि लोकसभा की क्षमता का एक बटे दसवां हिस्सा यानी 55 सीटें भी हासिल करने में कांग्रेस असफल रही। नतीजतन, मुख्य विपक्षी दल का तमगा तक उसे नहीं मिल सकेगा। आजादी के बाद शायद यह पहला मौका है, जब परिवारवाद का विरोध राजनीतिक दलों से ज्यादा जनता के बीच था और अब यह पार्टी के भीतर भी सुलगने लगा है। जाहिर तौर पर नतीजों का गांधी परिवार और कांग्रेस की सियासत पर भी खासा असर पड़ेगा। इतना ही नहीं कांग्रेस के साथी रहे दलों की भी बुरी गत हुई। बसपा, द्रमुक और रालोद का जहां खाता नहीं खुला, वहीं सपा और राकांपा जैसे दलों ने भी अपने इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन किया।

*****

'परिश्रम करने की मेरी जो पराकाष्ठा है, उस पर देश में किसी को शक है क्या? हम तो मजदूर नंबर वन हैं, आने वाले 60 महीने में देश को मेरे जैसा मजदूर नहीं मिलेगा। मैंने चुनाव अभियान में मजदूर कैसा होता है, ये उदाहरण प्रस्तुत कर दिया।' -नरेंद्र मोदी

''दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने आपको निर्णायक जनादेश दिया है। मुझे उम्मीद है कि आपके नेतृत्व में भारत विश्व मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।'' -बराक ओबामा

पढ़े: तस्वीरों में देख भाजपा की जीत का जश्न

ना वामदल का दम रहा, ना किसी मोर्चे के चर्चे


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.