समान आचार संहिता का मतलब हिंदू संहिता नहीं: मोदी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने मुस्लिमों के कल्याण के लिए किसी भी मौजूदा संवैधानिक प्रणाली को हटाने की आशंका को खारिज किया है। साथ ही, उन्होंने कहा कि वह अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए मौजूदा तंत्र को मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे। एक उर्दू साप्ताहिक 'नई
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने मुस्लिमों के कल्याण के लिए किसी भी मौजूदा संवैधानिक प्रणाली को हटाने की आशंका को खारिज किया है। साथ ही, उन्होंने कहा कि वह अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए मौजूदा तंत्र को मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे।
एक उर्दू साप्ताहिक 'नई दुनिया' को दिए साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता पश्चिमी देशों से उधार लिया गया शब्द है, जिसका कांग्रेस ने मुस्लिमों के वोटबैंक को भुनाने में इस्तेमाल किया।
समान आचार संहिता लागू करने के सवाल पर मोदी ने कहा कि संविधान ने सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए हैं और धार्मिक सौहार्द भारत के डीएनए में हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि समान आचार संहिता का मतलब सभी पर हिंदू धर्म के मुताबिक कानून लादना कतई नहीं है। संविधान कहता है कि सरकार समान आचार संहिता लागू करने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि हिंदू संहिता में भी कुछ प्रावधान असंगत हैं, जिन्हें बदले जाने की जरूरत है। 21वीं सदी में 18वीं सदी के कानून लागू रखना अनिवार्य नहीं है। समान आचार संहिता भाजपा का प्रमुख मुद्दा है, जिसे पार्टी के घोषणापत्र में भी जगह दी गई है।
गौरतलब है कि नई दुनिया के संपादक शाहिद सिद्दिकी हैं, जिन्हें पिछली बार मोदी का साक्षात्कार करने पर समाजवादी पार्टी (सपा) से निकाल दिया गया था।