सरकार ही नहीं संगठन के भी सुप्रीमो होंगे मोदी
नरेंद्र मोदी के नाम पर दर्ज हुई ऐतिहासिक जीत के बाद यह तय हो गया है कि सरकार ही नहीं संगठन भी उनकी ही राह पर चलेगा। एक तरह से वह संगठन के भी सुप्रीमो होंगे और भाजपा महासचिव अमित शाह उनके सिपहसालार। अकेले दम बहुमत के पार पहुंची भाजपा सरकार में सहयोगी दल भी उचित स्थान पाएंगे।
नई दिल्ली [आशुतोष झा]। नरेंद्र मोदी के नाम पर दर्ज हुई ऐतिहासिक जीत के बाद यह तय हो गया है कि सरकार ही नहीं संगठन भी उनकी ही राह पर चलेगा। एक तरह से वह संगठन के भी सुप्रीमो होंगे और भाजपा महासचिव अमित शाह उनके सिपहसालार। अकेले दम बहुमत के पार पहुंची भाजपा सरकार में सहयोगी दल भी उचित स्थान पाएंगे।
भाजपा के लिए सबसे बड़ी समस्या अंदरूनी खींचतान और कलह रही है। बात नेतृत्व की रही हो या रणनीति की, विवाद हमेशा से पार्टी को झुलसाता रहा है। मोदी की जीत के बाद यह लगभग तय हो गया है कि अगले कुछ वर्षो तक पार्टी और सरकार एक ही राह पर चलेगी। नेतृत्व की समस्या फिलहाल खत्म हो गई है। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत कई अन्य क्षुब्ध व नाराज नेताओं को भी चाहे-अनचाहे पार्टी लाइन पर ही चलने को मजबूर होना पड़ेगा। दरअसल, अभूतपूर्व जीत के साथ ही मोदी ने यह साबित कर दिया है कि वह जनता के ही नहीं कार्यकर्ताओं के भी नायक हैं। लिहाजा संगठन भी उनके दिशा-निर्देश में ही चलेगा।
मनमोहन सिंह को कमजोर ठहराने वाली भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यह बताता रहा है कि प्रधानमंत्री की पकड़ सरकार पर ही नहीं अपने संगठन पर भी होनी चाहिए। मोदी उसी रूप में दिखेंगे। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी का अध्यक्ष कोई भी हो, एजेंडा मोदी का चलेगा। दरअसल, लोकसभा की जीत के बाद कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी मोदी के विश्वस्त अमित शाह ही कमान संभाल सकते हैं।
सरकार का स्वरूप लगभग तय हो गया है। यूं तो भाजपा को अकेले दम पूर्ण बहुमत मिला है। लेकिन, सरकार में राजग के सभी सहयोगी दलों को हिस्सा मिलेगा। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी इसका इजहार कर दिया है। उन्होंने कहा, सरकार बनाने के लिए बहुमत चाहिए, लेकिन भाजपा देश बनाना चाहती है और इसलिए सभी को जोड़ा जाएगा। जाहिर है कि उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा, लेकिन दबाव की राजनीति नहीं चलेगी। बताते हैं कि अहम मंत्रालयों के साथ-साथ ढांचागत विकास से जुड़े मंत्रालय भी मोदी कैबिनेट में भाजपा सांसदों के पास होंगे। यह भी लगभग तय है कि सरकार के हर मंत्री का कामकाज मोदी की निगरानी में होगा। यूं तो शाह फिलहाल संगठन में ही होंगे, लेकिन परोक्ष रूप से सरकार में भी वह मोदी के आंख, नाक और कान हो सकते हैं।