Move to Jagran APP

सरकार ही नहीं संगठन के भी सुप्रीमो होंगे मोदी

नरेंद्र मोदी के नाम पर दर्ज हुई ऐतिहासिक जीत के बाद यह तय हो गया है कि सरकार ही नहीं संगठन भी उनकी ही राह पर चलेगा। एक तरह से वह संगठन के भी सुप्रीमो होंगे और भाजपा महासचिव अमित शाह उनके सिपहसालार। अकेले दम बहुमत के पार पहुंची भाजपा सरकार में सहयोगी दल भी उचित स्थान पाएंगे।

By Edited By: Published: Fri, 16 May 2014 10:55 PM (IST)Updated: Sat, 17 May 2014 08:22 AM (IST)
सरकार ही नहीं संगठन के भी सुप्रीमो होंगे मोदी
सरकार ही नहीं संगठन के भी सुप्रीमो होंगे मोदी

नई दिल्ली [आशुतोष झा]। नरेंद्र मोदी के नाम पर दर्ज हुई ऐतिहासिक जीत के बाद यह तय हो गया है कि सरकार ही नहीं संगठन भी उनकी ही राह पर चलेगा। एक तरह से वह संगठन के भी सुप्रीमो होंगे और भाजपा महासचिव अमित शाह उनके सिपहसालार। अकेले दम बहुमत के पार पहुंची भाजपा सरकार में सहयोगी दल भी उचित स्थान पाएंगे।

loksabha election banner

भाजपा के लिए सबसे बड़ी समस्या अंदरूनी खींचतान और कलह रही है। बात नेतृत्व की रही हो या रणनीति की, विवाद हमेशा से पार्टी को झुलसाता रहा है। मोदी की जीत के बाद यह लगभग तय हो गया है कि अगले कुछ वर्षो तक पार्टी और सरकार एक ही राह पर चलेगी। नेतृत्व की समस्या फिलहाल खत्म हो गई है। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत कई अन्य क्षुब्ध व नाराज नेताओं को भी चाहे-अनचाहे पार्टी लाइन पर ही चलने को मजबूर होना पड़ेगा। दरअसल, अभूतपूर्व जीत के साथ ही मोदी ने यह साबित कर दिया है कि वह जनता के ही नहीं कार्यकर्ताओं के भी नायक हैं। लिहाजा संगठन भी उनके दिशा-निर्देश में ही चलेगा।

मनमोहन सिंह को कमजोर ठहराने वाली भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यह बताता रहा है कि प्रधानमंत्री की पकड़ सरकार पर ही नहीं अपने संगठन पर भी होनी चाहिए। मोदी उसी रूप में दिखेंगे। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी का अध्यक्ष कोई भी हो, एजेंडा मोदी का चलेगा। दरअसल, लोकसभा की जीत के बाद कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी मोदी के विश्वस्त अमित शाह ही कमान संभाल सकते हैं।

सरकार का स्वरूप लगभग तय हो गया है। यूं तो भाजपा को अकेले दम पूर्ण बहुमत मिला है। लेकिन, सरकार में राजग के सभी सहयोगी दलों को हिस्सा मिलेगा। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी इसका इजहार कर दिया है। उन्होंने कहा, सरकार बनाने के लिए बहुमत चाहिए, लेकिन भाजपा देश बनाना चाहती है और इसलिए सभी को जोड़ा जाएगा। जाहिर है कि उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा, लेकिन दबाव की राजनीति नहीं चलेगी। बताते हैं कि अहम मंत्रालयों के साथ-साथ ढांचागत विकास से जुड़े मंत्रालय भी मोदी कैबिनेट में भाजपा सांसदों के पास होंगे। यह भी लगभग तय है कि सरकार के हर मंत्री का कामकाज मोदी की निगरानी में होगा। यूं तो शाह फिलहाल संगठन में ही होंगे, लेकिन परोक्ष रूप से सरकार में भी वह मोदी के आंख, नाक और कान हो सकते हैं।

मोहन भागवत की कथा से निकला महानायक मोदी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.