कांग्रेस को मिला बुखारी का सहारा
कभी बसपा तो कभी तृणमूल कांग्रेस को समर्थन का मन बनाते रहे जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी आखिरकार कांग्रेस के पाले में खड़े दिखेंगे। मौजूदा सियासी माहौल में कांग्रेस से पुराने गिले-शिकवे भुलाते हुए बुखारी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बहुत जल्द सत्ताधारी दल के पक्ष में मुस्लिमों से वोट करने की अपील जारी कर
नई दिल्ली [राजकिशोर]। कभी बसपा तो कभी तृणमूल कांग्रेस को समर्थन का मन बनाते रहे जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी आखिरकार कांग्रेस के पाले में खड़े दिखेंगे। मौजूदा सियासी माहौल में कांग्रेस से पुराने गिले-शिकवे भुलाते हुए बुखारी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बहुत जल्द सत्ताधारी दल के पक्ष में मुस्लिमों से वोट करने की अपील जारी करेंगे। चौतरफा चल रहे विपरीत माहौल में कांग्रेस को इस घटनाक्रम से चुनावों में मुस्लिमों का समर्थन मिलने की उम्मीदें बढ़ चली हैं।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेता और केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव शुक्ल की सोमवार को इमाम के आवास पर एक घंटे तक गुफ्तगू हुई। इस दौरान सियासी मसलों को देखने वाली बुखारी की 11 सदस्यीय समिति के सभी सदस्य भी मौजूद थे। बैठक के बाद तय हुआ कि सैय्यद बुखारी की जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात होगी। इसके बाद वह समर्थन का एलान कर देंगे। इससे पहले बुखारी की 11 सदस्यीय समिति की मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल से हो चुकी थी। इससे पहले तक बुखारी ने मुस्लिमों के लिए काम करने वाले दलों को मुद्दों के आधार पर समर्थन देने को कहा था। उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में वह सपा के साथ थे, लेकिन इस दफा प्रदेश की सरकार से नाराजगी के चलते दूसरे विकल्प देख रहे थे। इस कड़ी में बसपा ने भी उनसे संपर्क किया था और तृणमूल कांग्रेस से भी उनकी टीम संपर्क में थी। बुखारी की टीम पश्चिम बंगाल का दौरा कर भी आई थी। सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों अहमद पटेल के साथ हुई उनकी टीम की मुलाकात के बाद माहौैल बदला। सोमवार को राजीव शुक्ला और बुखारी की मुलाकात के बाद बात पक्की बताई जा रही है। बुखारी और उनकी टीम के साथ शुक्ला की एक घंटे तक बैठक चली। इसमें मुस्लिम तबके की शिकायतें गिनाई गईं।
बुखारी की सबसे बड़ी शिकायत थी कि कांग्रेस वादे के बावजूद सांप्रदायिक हिंसा निरोधी विधेयक पारित नहीं करा सकी। इसके अलावा मुस्लिमों की गिरफ्तारी नहीं रुकी और मुस्लिम विश्वविद्यालय खोलने का वादा भी नहीं पूरा हुआ। बुखारी ने ये शर्ते रखीं और कहा कि अगर सरकार इन मसलों पर गंभीरता से अमल करने का वादा करे तो वह समर्थन देंगे। शुक्ला ने हुकूमत के सामने ये मांगें पूरी न होने की मजबूरियां बताईं। धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट करने के नाम पर वह बुखारी को कांग्रेस के पाले में खड़ा करने में सफल रहे। दिल्ली में प्रेसवार्ता करने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिमों के बीच शाही इमाम कांग्रेस के पक्ष में अपील जारी करेंगे।