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मोदी लहर से जूझ रहे जितिन

शहरी चकाचौंध से दूर और तराई वाले धौरहरा संसदीय क्षेत्र में इधर काम तो तमाम हुए हैं लेकिन अबकी चुनाव में 'कास्ट फैक्टर' के साथ ही 'मोदी वेव' भी मतदाताओं पर हावी है। वर्षो से पिछड़ेपन का शिकार गन्ना बेल्ट वाले इस क्षेत्र के ज्यादातर घरों में अब गैस पहुंचने से महिलाओं को चूल्हा नहीं फूंकना पड़ता। बच्चों क

By Edited By: Published: Sun, 27 Apr 2014 09:07 AM (IST)Updated: Sun, 27 Apr 2014 09:13 AM (IST)
मोदी लहर से जूझ रहे जितिन
मोदी लहर से जूझ रहे जितिन

धौरहरा, [अजय जायसवाल]। शहरी चकाचौंध से दूर और तराई वाले धौरहरा संसदीय क्षेत्र में इधर काम तो तमाम हुए हैं लेकिन अबकी चुनाव में 'कास्ट फैक्टर' के साथ ही 'मोदी वेव' भी मतदाताओं पर हावी है। वर्षो से पिछड़ेपन का शिकार गन्ना बेल्ट वाले इस क्षेत्र के ज्यादातर घरों में अब गैस पहुंचने से महिलाओं को चूल्हा नहीं फूंकना पड़ता। बच्चों के लिए नए स्कूल व अस्पताल बने हैं। सड़कें भी बेहतर हुई हैं लेकिन चुनाव में इन विकास कार्यो को मोदी लहर और जातीय राजनीति से बड़ी चुनौती दिख रही है।

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उत्तर प्रदेश की चंद हाईप्रोफाइल लोकसभा सीटों में से एक धौरहरा में राहुल गांधी ब्रिगेड के प्रमुख सदस्य केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री जितिन प्रसाद फिर चुनाव मैदान में हैं। लखीमपुर खीरी और सीतापुर जिले में आने वाली इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है क्योंकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की टीम के आनंद भदौरिया भी यहीं से चुनाव लड़ रहे हैं। संसद में फिर पहुंचने को दाऊद अहमद 'हाथी' पर सवार हैं जबकि भाजपा ने रेखा वर्मा पर दांव लगाया है।

वैसे तो चुनावी अखाड़े में 15 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं लेकिन कांग्रेस के कब्जे वाली इस सीट पर पिछले चुनाव में चौथे पायदान पर रहने वाली भाजपा अबकी मोदी लहर और बदले जातीय समीकरण से मुख्य लड़ाई में दिख रही है। दो साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की पांचों सीटों से कांग्रेस और भाजपा का पत्ता साथ था। पिछले लोकसभा चुनाव से क्षेत्र में बढ़े 2.88 लाख युवा मतदाता भी बड़ा उलटफेर कर सकते हैं।

पिछली बार 3.91 लाख वोट हासिल कर 1.84 लाख मतों के अंतर से जीते जितिन द्वारा केंद्र में मंत्री रहते क्षेत्र में कराए गए तमाम कार्य दिखाई देते हैं। क्षेत्र में बेहतर सड़कों का जाल है। घर-घर तक गैस पहुंची है। नए स्कूल व अस्पताल भी बने हैं। 72 वर्षीय बृजेन्द्र बहादुर सिंह कहते हैं, जितिन ने क्षेत्र में काम किया है, हमारे सुख-दुख में शामिल होते रहे हैं, लेकिन अबकी मोदी की लहर है और रेखा के प्रति सहानुभूति से उन्हें कड़ी टक्कर मिलेगी। भाजपा से टिकट मिलने से पहले 39 वर्षीय रेखा के पति अरुण वर्मा की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। वह बसपा से भाजपा में आने के बाद टिकट के दावेदार थे। फत्तेपुर गांव के रामपाल, अवध बिहारी को कुरेदने पर उनका गुस्सा सपा पर फूटता है। सपा नेताओं की गुंडागर्दी व गाय-भैंस की चोरी से ग्रामीण परेशान हैं। युवाओं में टैबलेट-लैपटॉप न मिलने और वर्ग विशेष तक ही ज्यादा अनुदान पहुंचने का सवाल उठाते ग्रामीणों ने कहा, सपा को क्यों वोट दें?

मुस्लिम बहुल कसाइनपुरवा के नबील्लाह कहते हैं कि क्षेत्र में 'कमल का फूल' खिलता देख अंतिम समय में मुस्लिम मतों का कांग्रेस के प्रति एकतरफा झुकाव हो सकता है। बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी होने के साथ ही कांग्रेस सरकार की नाकामियों व 'साइकिल' को वोट देने के सवाल पर वह कहते हैं कि ज्यादातर वोट तो पंजे को ही जाएगा क्योंकि उन्हें कांग्रेस से नहीं बल्कि जितिन से मतलब है जो कि क्षेत्र में आने के साथ काम भी करते रहे हैं।

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