Move to Jagran APP

भाजपा, कांग्रेस को छोड़ सभी की 'राष्ट्रीयता' दांव पर

[मुकेश केजरीवाल]। नरेंद्र मोदी की लहर ने देश की राजनीति का नक्शा ही बदल कर रख दिया है। नतीजों ने तय कर दिया है कि अब देश में सिर्फ दो ही राष्ट्रीय पार्टियां रह जाएंगी-भाजपा और कांग्रेस। सबसे बड़ा झटका लगा है कि देश की वामपंथी राजनीति को। सबसे बड़ा वामदल माकपा और सबसे पुराना वामदल भाकपा दोनों के नाम में ही अब 'भारतीय' रहेगा। यही हाल राष्ट्रीय मान्यता वाली अन्य पार्टियों बसपा और एनसीपी का भी है।

By Edited By: Published: Sat, 17 May 2014 09:19 PM (IST)Updated: Sat, 17 May 2014 09:21 PM (IST)
भाजपा, कांग्रेस को छोड़ सभी की 'राष्ट्रीयता' दांव पर
भाजपा, कांग्रेस को छोड़ सभी की 'राष्ट्रीयता' दांव पर

नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। नरेंद्र मोदी की लहर ने देश की राजनीति का नक्शा ही बदल कर रख दिया है। नतीजों ने तय कर दिया है कि अब देश में सिर्फ दो ही राष्ट्रीय पार्टियां रह जाएंगी-भाजपा और कांग्रेस। सबसे बड़ा झटका लगा है कि देश की वामपंथी राजनीति को। सबसे बड़ा वामदल माकपा और सबसे पुराना वामदल भाकपा दोनों के नाम में ही अब 'भारतीय' रहेगा। यही हाल राष्ट्रीय मान्यता वाली अन्य पार्टियों बसपा और एनसीपी का भी है।

prime article banner

चुनाव आयोग के एक शीर्ष सूत्र के मुताबिक, राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता वाली मौजूदा छह में से चार पार्टियों ने चुनाव में इस मान्यता के लिए जरूरी न्यूनतम प्रदर्शन भी नहीं किया है। खास बात यह है कि बसपा राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक वोट पाने वाली तीसरे नंबर की पार्टी है मगर कुल मतदान का 4.1 फीसदी यानी, 2.29 करोड़ वोट पाने के बावजूद बसपा को किसी सूबे में एक भी सीट नहीं मिल सकी है। चुनाव चिह्न [आरक्षण और आवंटन] आदेश के मुताबिक लोकसभा में पार्टी के चार सदस्यों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य है।

इसी तरह महज एक सीट मिलने से भाकपा भी खुद ही इससे बाहर हो गई है। राकांपा को छह सीटें तो मिलीं मगर महाराष्ट्र से बाहर कहीं यह जरूरी मत फीसद नहीं पा सकी। सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी माकपा को नौ सीटें मिली हैं, मगर पश्चिम बंगाल [22.7 फीसदी], केरल [21.6 फीसदी] और त्रिपुरा [64 फीसदी] के अलावा किसी और राज्य से उसे जरूरी मत नहीं मिले। तृणमूल कांग्रेस को 34 सीटें जरूर मिली हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के अलावा उसे कहीं छह फीसद मत नहीं मिले।

पहली बार चुनाव लड़ कर ही राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता पाने की उम्मीद लगाए आम आमदी पार्टी [आप] भी इससे चूक गई है। इसे चार सीटें जरूर मिली हैं, लेकिन दिल्ली और पंजाब के अलावा इसे कहीं न्यूनतम मत प्रतिशत नहीं मिला। हरियाणा में मजबूत बताई जा रही पार्टी भी महज 4.2 फीसदी मत पर अटक गई।

राष्ट्रीय पार्टी होने का मतलब

राष्ट्रीय पार्टियों को चुनाव आयोग पूरे देश के लिए एक समान चुनाव चिह्न के अलावा दिल्ली में केंद्रीय कार्यालय, दूरदर्शन और आकाशवाणी पर तय समय का मुफ्त प्रचार आदि कई सुविधाएं दिलवाता है। हालांकि, ऐसी मान्यता खोने पर चुनाव चिह्न तुरंत जब्त करने की बजाय उसे दोबारा यह मुकाम पाने का मौका दिया जाता है।

राष्ट्रीय मान्यता की शर्ते

किसी भी राजनीतिक दल के लिए राष्ट्रीय मान्यता पाने के लिए दो विकल्प हैं। नियमानुसार, इसके लिए पार्टी को चार राज्यों में न्यूनतम छह फीसद वोट पाने के साथ ही लोकसभा में चार सीटें भी जीतनी होती हैं। दूसरा विकल्प यह होता है कि वह लोकसभा की 11 सीटें जीत ले और ये सीटें कम से कम तीन अलग-अलग राज्यों से आएं।

पढ़े : हार की जिम्मेदारी लेकर सोनिया, राहुल देंगे पदों से इस्तीफा!


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.