यूपी में अब भाजपा की परीक्षा का चरण
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दंगों की तपिश में हुए धुव्रीकरण से पहले तीन चरण के चुनाव में भाजपा ने भले ही राहत महसूस की हो परन्तु पार्टी के दमखम की असल परीक्षा के साथ 'नमो लहर' की परख चौथे चरण में 14 संसदीय क्षेत्रों के मतदान से होगी। इन इलाकों में भाजपा के लिए चुनौती जटिल होने की एक वजह यहां कांग्रेस का दबदबा
लखनऊ, [अवनीश त्यागी]। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दंगों की तपिश में हुए धुव्रीकरण से पहले तीन चरण के चुनाव में भाजपा ने भले ही राहत महसूस की हो परन्तु पार्टी के दमखम की असल परीक्षा के साथ 'नमो लहर' की परख चौथे चरण में 14 संसदीय क्षेत्रों के मतदान से होगी। इन इलाकों में भाजपा के लिए चुनौती जटिल होने की एक वजह यहां कांग्रेस का दबदबा होना है। जातीय समीकरण भी भाजपा से ज्यादा सपा तथा बसपा के माफिक दिखते है परन्तु मोदी लहर व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, डा. मुरली मनोहर जोशी एवं उमा भारती जैसे बड़े नामों के सहारे भाजपाई नैया पार लगने की उम्मीद लगाए है।
तीस अप्रैल के मतदान में भाजपा के लिए सर्वाधिक प्रतिष्ठा वाला लखनऊ संसदीय क्षेत्र है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि मानी जाने वाली लखनऊ सीट से भाजपा ने अपने अध्यक्ष राजनाथ सिंह जैसे हाईप्रोफाइल उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। इससे भाजपा नेतृत्व ने आसपास की सीटों पर भी समीकरण सुधारने का संकेत दिया है। लोकतंत्र सेनानी राजेंद्र तिवारी कहते है बड़े नेताओं को चुनावी जंग में उतारने से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ता है। दो लोकसभा चुनाव से मध्य क्षेत्र भाजपा के लिए ड्राई एरिया रहा और इसका लाभ कांग्रेस को जाता रहा है।
गत लोकसभा चुनाव के परिणामों से इन क्षेत्रों में भाजपा की कमजोरी साफ जाहिर होती है। 14 संसदीय क्षेत्रों में से केवल लखनऊ सीट पर ही कमल खिल सका था। उपविजेता बनने का मौका भी मात्र एक सीट कानपुर पर मिला। निराशाजनक पक्ष यहीं था कि नौ संसदीय क्षेत्रों धौरहरा, सीतापुर, मिश्रिख, उन्नाव, मोहनलालगंज, बांदा रायबरेली, झांसी व बाराबंकी में भाजपा के उम्मीदवार एक लाख मतों का आंकड़ा भी नहीं छू सके।
जातीय समीकरण साधने की कोशिश
चौथे चरण के चुनाव की तस्वीर भी पिछड़े व अति पिछड़े वर्ग के मतदाता ही तय करेंगे। इसके अलावा ब्राह्मण व मुस्लिमों का रुझान भी जीत-हार के फैसले निर्धारित करेगा। अति पिछड़ों में मोदी फैक्टर कारगर होने को भाजपा के लिए शुभ संकेत बताते हुए प्रदेश महामंत्री स्वतंत्रदेव सिंह का दावा है कुर्मी व लोधी समाज का एक तरफा भाजपाई उम्मीदवारों का साथ देना चुनावी उलटफेर करेगा। पिछड़ों में राममंदिर आंदोलन के बाद पहली बार भाजपा के प्रति उत्सुकता दिखी। पिछड़ा समाज में मोदी कार्ड चला तो भाजपा के लिए लखनऊ और कानुपर के अलावा सीतापुर, मिश्रिख, फतेहपुर, उन्नाव, झांसी, मोहनलालगंज, जालौन व बाराबंकी सीटों पर बेहतरी की आस जगेगी। दलित नेता राजेंद्र कुमार कहते है इस बार आरक्षित संसदीय क्षेत्रों में भाजपा बढ़त लेगी। वैसे इस चरण के चुनाव में भाजपा ने संगठन को ताकत देने के लिए बाहरी नेताओं को चुनाव मैदान में उतारने से भी गुरेज नहीं किया है लेकिन विपक्ष दलों के दिग्गज भी कमल खिलाने की कोशिश आसानी से कामयाब नहीं होने देंगे।
प्रमुख भाजपा उम्मीदवार
राजनाथ सिंह, डा. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, हरिसाक्षी महाराज, राजेश वर्मा, कौशल किशोर, साध्वी निरंजन ज्योति।
इनसे होगा मुकाबला-
सोनिया गांधी-रायबरेली, जिनित प्रसाद-धौरहरा, श्रीप्रकाश जायसवाल- कानपुर, प्रदीप जैन आदित्य-झांसी, पीएल पुनिया-बाराबंकी, अन्नू टंडन- उन्नाव, रीता बहुगुणा जोशी-लखनऊ, आरके चौधरी-मोहनलालगंज, बाल कुमार पटेल-बांदा।
वर्ष 2009 की स्थिति
संसदीय क्षेत्र विजेता उपविजेता
धौराहरा - कांग्रेस बसपा
सीतापुर - बसपा सपा
मिश्रिख - बसपा बसपा
उन्नाव - कांग्रेस बसपा
मोहनलालगंज -सपा बसपा
लखनऊ - भाजपा कांग्रेस
रायबरेली - कांग्रेस बसपा
कानपुर - कांग्रेस भाजपा
जालौन- सपा बसपा
झांसी- कांग्रेस बसपा
हमीरपुर- बसपा कांग्रेस
बांदा- सपा बसपा
फतेहपुर- सपा बसपा
बाराबंकी- कांग्रेस सपा
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