अटल युग का आगाज
कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि में 13वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। वाजपेयी मजबूत नेता बनकर उभरे। कई वर्षो की राजनीतिक अस्थिरता के बाद पहली बार राजग के रूप में पार्टियों के गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और वाजपेयी पांच साल का कार्यकाल पूरा कर सके। फ्लैशब
कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि में 13वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। वाजपेयी मजबूत नेता बनकर उभरे। कई वर्षो की राजनीतिक अस्थिरता के बाद पहली बार राजग के रूप में पार्टियों के गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और वाजपेयी पांच साल का कार्यकाल पूरा कर सके। फ्लैशबैक सीरीज में अतुल चतुर्वेदी की नजर:
स्वदेशी बनाम विदेशी
1998 में सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाल ली। उनके इटली मूल के मुद्दे पर शरद पवार और पीए संगमा के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस में आंतरिक संघर्ष शुरू हो गया। भाजपा ने भी चुनाव में इसे प्रभावी मुद्दा बनाया।
पार्टियों का प्रदर्शन
* कारगिल युद्ध में अटल के नेतृत्व में विजय और कश्मीर मुद्दे पर भारतीय पक्ष के और मजबूत होने के साथ-साथ आर्थिक रफ्तार तेज होने के कारण भाजपा के पक्ष में अनुकूल माहौल बना। भाजपा इन उपलब्धियों को चुनावी अभियान में भुनाने में कामयाब रही। इसके चलते राजग को स्पष्ट बहुमत के रूप में 298 सीटें मिलीं। यहां तक कि कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले ओडिशा, आंध्र प्रदेश और असम में भी भाजपा और सहयोगी दलों को समर्थन मिला। अकेले भाजपा को 182 सीटें और 23.8 प्रतिशत वोट मिला।
* कांग्रेस और उसके सहयोगियों को 136 सीटें मिलीं। कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले 50 वर्षो में सबसे कमजोर रहा।
कारगिल युद्ध
* यह पहला युद्ध है जिसमें पहली बार दो परमाणु संपन्न राष्ट्र प्रत्यक्ष रूप से परंपरागत युद्ध में आमने-सामने हुए।
* 1998-99 की सर्दियों में पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों की मिलीभगत से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर कारगिल क्षेत्र में भारतीय सीमा में घुस आई।
ऑपरेशन विजय
मई, 1999 में भारतीय सेना को घुसपैठ का पता चलते ही सरकार ने ऑपरेशन विजय की घोषणा की। सेना ने हमला बोल दिया। दो महीने तक दोनों पक्षों में भीषण युद्ध हुआ। दोनों तरफ से कई सैनिक शहीद युद्ध हुए। पहाड़ पर ऊंचाई पर कब्जा जमाने के चलते दुश्मनों को रणनीतिक लाभ मिला लेकिन हमारी सेना के तगड़े प्रहार के चलते जल्दी ही उनके पांव उखड़ गए। एक-एक कर कारगिल की सभी चोटियों पर भारतीय परचम फिर से लहराने लगा। अंतिम रूप से 26 जुलाई, 1999 को विजय की घोषणा हुई।
मकसद: दुश्मन की मंशा कश्मीर को लद्दाख से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क एनएच-1 पर कब्जा करने की थी। इससे सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय उपस्थिति पर विपरीत असर पड़ता और कश्मीर की विवादित सीमा के मसले पर बातचीत के लिए विवश होता। इसके जरिये पाकिस्तान का मकसद कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीकरण करना भी था।
चुनाव तारीख: पांच सितंबर-तीन अक्टूबर, 1999
कुल सीटें: 543
बहुमत के लिए: 272
मतदाता: 62 करोड़
मतदान: 60 फीसद
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