पाकिस्तानी नेता का दावा- पूरे सिंध पर कब्जा करना चाहती है PAK सेना

सिंध के डीजी रेंजर्स उमर अहमद बोखर के नाम खुले पत्र में अल्ताफ हुसैन ने याद दिलाया कि सिंध के लोगों और नेताओं पर पाकिस्तानी सेना किस तरह जुल्म ढाती रही है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2020 09:30 AM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 09:30 AM (IST)
पाकिस्तानी नेता का दावा- पूरे सिंध पर कब्जा करना चाहती है PAK सेना
पाकिस्तानी नेता का दावा- पूरे सिंध पर कब्जा करना चाहती है PAK सेना

लंदन, एएनआइ। मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने कहा कि पाकिस्तानी सेना पूरे सिंध पर कब्जा कर उसे सैन्य उपनिवेश बनाने का मंसूबा पाले हुए है। वे सिंध रेंजर्स के उस बयान की भ‌र्त्सना कर रहे थे, जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रविरोधी तत्व छिपकर हमले कर रहे हैं। सिंध के डीजी रेंजर्स उमर अहमद बोखर के नाम खुले पत्र में अल्ताफ ने याद दिलाया कि सिंध के नागरिकों और एमक्यूएम नेताओं पर पाकिस्तानी सेना किस तरह जुल्म ढाती रही है।

जैसे कि 1992 में 19 जून की रात एमक्यूएम के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन शुरू किया गया। इसी रात नरसंहार शुरू हुआ और एमक्यूएम कार्यकर्ताओं को अमानवीय यातनाएं दी गईं। कइयों को तो मौत के घाट उतार दिया गया। हमारी मां-बहनों को भी सताया गया। क्या तब सैन्य ऑपरेशन से पहले यह घोषणा की गई थी कि वे अमानवीय बर्ताव करने वाले हैं और बुनियादी मानव अधिकारों की भी धज्जियां उड़ा देंगे। अल्ताफ का यह पत्र रेंजर्स प्रवक्ता के बयान की प्रतिक्रिया में आया है।

पाकिस्तान से आजादी के लिए बलोच, सिंधियों का प्रदर्शन

पाकिस्तान और चीन की दोस्ती की मुश्किलें पाकिस्तान में ही बढ़ती जा रही हैं। चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के चलते मुश्किलें झेल रहे बलूचिस्तान के लोगों ने अब अपने मकसद के लिए सिंध प्रांत के राष्ट्रवादियों से हाथ मिला लिया है। सरकार में पंजाबी मुस्लिमों के बोलबाले से बलोच और सिंधी शुरू से खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। अब दोनों प्रांतों के राष्ट्रवादियों ने मिलकर पाकिस्तान से अलग होने की लड़ाई छेड़ने का फैसला किया है।

पाकिस्तान के गठन के समय से ही बलोच उसके साथ रहने के खिलाफ हैं। बाद में बलोचों के शांतिपूर्ण आंदोलनों को बर्बरता से कुचले जाने से उनमें गुस्सा बढ़ गया। इसी के बाद बलोच लिबरेशन आर्मी, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट, बलोच रिपब्लिकन आर्मी और बलोच रिपब्लिकन गार्ड्स जैसे संगठन खड़े हुए और उन्होंने अत्याचार के खिलाफ संघर्ष शुरू कर दिया।

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