प्रैम में शिशुओं पर पड़ता है प्रदूषण का सबसे अधिक असर

विश्लेषण कर यह जाना कि प्रैम में घूमने और शिशुओं पर पड़ने वाले प्रदूषण के असर के बीच क्या संबंध है और यह शिशुओं को कितना प्रभावित करता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 16 Aug 2018 12:05 PM (IST) Updated:Thu, 16 Aug 2018 12:25 PM (IST)
प्रैम में शिशुओं पर पड़ता है प्रदूषण का सबसे अधिक असर
प्रैम में शिशुओं पर पड़ता है प्रदूषण का सबसे अधिक असर

लंदन [प्रेट्र]। दुनिया भर में तेजी से बढ़ता प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन गई है। इससे बच्चों से लेकर बूढ़े तक हर आयु वर्ग के लोग प्रभावित हैं। प्रैम (बच्चों की झूला गाड़ी) में तो शिशुओं पर प्रदूषण का असर सबसे अधिक पड़ता है। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है। इसमें बताया गया है कि प्रैम में घूमते समय शिशुओं पर उनके माता-पिता की तुलना में प्रदूषण का 60 फीसद असर अधिक पड़ता है। इससे उनके चेहरे और मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ता है।

ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ सरी के शोधकर्ताओं ने 160 से अधिक संदर्भों का विश्लेषण कर यह जाना कि प्रैम में घूमने और शिशुओं पर पड़ने वाले प्रदूषण के असर के बीच क्या संबंध है और यह शिशुओं को कितना प्रभावित करता है।

इस तरह किया अध्ययन

एनवायरमेंट इंटरनेशनल नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि शोधकर्ताओं ने इस संबंध में एक प्रयोग किया। इसमें उन्होंने अलग-अलग ऊंचाई और चौड़ाई यहां तक कि एक व दो सीट वाले प्रैम में शिशुओं पर पड़ने वाले प्रदूषण के असर को जाना।

यह वजह आई सामने

अध्ययन में सामने आया कि प्रैम में घूमते समय शिशु दूषित हवा के संपर्क में अधिक आते हैं। खासकर कि तब जब वे जमीन से 0.55 मीटर से 0.85 मीटर ऊंचे प्रैम में घूम रहे होते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि इसकी वजह वाहनों से दूषित हवा को बाहर करने वाले इग्जॉस्ट पाइप की ऊंचाई है। आमतौर पर वाहनों में ये पाइप जमीन से एक मीटर ऊंचाई पर लगे होते हैं। इस कारण उनसे निकलने वाली दूषित हवा की चपेट में प्रैम में घूम रहे शिशु अधिक आते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इससे स्पष्ट होता है कि वयस्कों की तुलना में प्रैम में घूम रहे शिशु प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं।

यह दिया सुझाव

शोधकर्ताओं ने शिशुओं को प्रदूषण से बचाने के सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने एक सुझाव यह दिया है कि वाहनों से निकलने वाली दूषित हवा पर नियंत्रण किया जाए। वहीं दूसरे सुझाव के मुताबिक, बच्चों को उन स्थानों पर घुमाया जाए जहां वाहनों की आवाजाही कम या बिल्कुल नहीं होती है। चूंकि यह उनके मानसिक विकास पर असर डालता है इसलिए इससे बचने के लिए उचित कदम उठाए जाने की बहुत जरूरत है। 

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