अमेरिकी दबाव के आगे झुका पाक, पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारे रिहा होने से पहले फिर गिरफ्तार

Daniel pearl murder case अमेरिकी दबाव के आगे झुकते हुए पाकिस्तान ने पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारों को फिर से गिरफ्तार कर लिया है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Fri, 03 Apr 2020 08:40 PM (IST) Updated:Fri, 03 Apr 2020 08:40 PM (IST)
अमेरिकी दबाव के आगे झुका पाक, पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारे रिहा होने से पहले फिर गिरफ्तार
अमेरिकी दबाव के आगे झुका पाक, पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारे रिहा होने से पहले फिर गिरफ्तार

वाशिंगटन, प्रेट्र: अमेरिकी दबाव के आगे झुकते हुए पाकिस्तान ने पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारों को फिर से गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले पाकिस्तान की सिंध प्रांत के हाई कोर्ट ने पर्ल की हत्या के मुख्य दोषी और ब्रिटिश मूल के अलकायदा आतंकी अहमद उमर सईद शेख की मौत की सजा को सात साल कैद में तब्दील कर दिया था। साथ ही तीन अन्य दोषियों फहद नसीम, सलमान साकिब और शेख मुहम्मद आदिल को रिहा कर दिया था। इन तीनों को सात-सात कैद की सजा सुनाई गई थी।

कोर्ट के इस फैसले को अमेरिका ने 'अपमानजनक' बताया था। मुख्य दोषी उमर सईद शेख 2002 में कराची में पर्ल की हत्या में दोषी ठहराए जाने के बाद से पिछले 18 साल से जेल में बंद है।

सिंध की प्रांतीय सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, सरकार के पास इस बात के पर्याप्त कारण है कि मुख्य दोषी उमर सईद शेख, फहद नसीम अहमद, सलमान साकिब और शेख मुहम्मद आदिल को गिरफ्तार किया जाए और तीन महीने तक हिरासत में रखा जाए। चारों को जेल से रिहा किया जाने के पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारियों को चिंता है कि ये लोग देशहित के खिलाफ काम कर सकते हैं।

उधर, इससे पहले दक्षिण एशिया मामलों की शीर्ष अमेरिकी राजनयिक एलिस वेल्स ने कहा, 'डेनियल पर्ल की हत्या के दोषियों की सजा कम करना दुनिया में आतंकवाद से पीडि़त प्रत्येक व्यक्ति का अपमान करने जैसा है।' हालांकि उन्होंने पाकिस्तानी अभियोजकों के उन संकेतों का स्वागत किया है, जिसमें उन्होंने फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कही है। वेल्स ने कहा, 'हम अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने का स्वागत करते हैं। डेनियल का अपहरण करके उसकी हत्या करने वाले व्यक्ति को हरहाल में सजा मिलनी चाहिए।'

अलकायदा और आइएसआइ के संबंधों की कर रहे थे पड़ताल

'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' के दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख 38 वर्षीय पर्ल को 2002 में कराची से अगवा किया गया था और उसके बाद हत्या कर दी गई। वह पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आइएसआइ और आतंकी संगठन अलकायदा के बीच संबंधों की पड़ताल करने वाली एक खोजी खबर के सिलसिले में वहां गए थे।

अमेरिकी आयोग ने भी जताई नाराजगी

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित अमेरिकी आयोग की कमिश्नर अनुरिमा भार्गव ने कहा है कि कोर्ट का फैसला यह दिखाता है कि पाकिस्तान ने पर्ल की हत्या के दोषियों को सजा दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इतना ही नहीं इस फैसले से पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था पर भी सवाल उठते हैं। अमेरिका के नेशनल प्रेस क्लब और नेशनल प्रेस क्लब जर्नलिज्म इंस्टीट्यूट ने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट से पर्ल हत्याकांड में दिए गए फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया है।

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