तूल पकड़ रहा है करीमा बलूच के शव के अपमान का मामला, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी की निंदा

पाकिस्तानी सरकार का करीमा बलूच के शव की बेकदरी का मामला बलूचिस्तान में तूल पकड़ता जा रहा है। इस वाकए को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की आलोचना हो रही है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी सवाल उठाए हैं...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 05:15 PM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 05:15 PM (IST)
तूल पकड़ रहा है करीमा बलूच के शव के अपमान का मामला, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी की निंदा
करीमा बलूच के शव की बेकदरी का मामला बलूचिस्तान में तूल पकड़ता जा रहा है।

नई दिल्ली, एजेंसियां। पाकिस्तानी सरकार का करीमा बलूच के शव की बेकदरी और अपमान करने का मामला बलूचिस्तान में तूल पकड़ता जा रहा है। संगीनों के साए में परिवार के चंद सदस्यों को बंधक बनाकर करीमा के शव को दफनाने से बलूच समुदाय में जबर्दस्त गुस्सा है। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की आलोचना हो रही है। बलूचिस्तान में रहने वाले लोगों की धड़कन और उनके अधिकारों के लिए लड़ने वाली करीमा बलूच की टोरंटो में संदिग्ध हत्या हो गई थी।

बलूचों ने इस घटना में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का हाथ बताया है। करीमा के शव को पाकिस्तान लाए जाने के बाद संगीनों के साए में बलूचिस्तान के तुर्बत जिले में दफना दिया गया। यहां अंतिम संस्कार में चंद परिजनों को ही शामिल होने की इजाजत दी गई थी। इस घटना के बाद से बलूचिस्तान उबल रहा है। सरकार ने करीमा का शव आने पर कर्फ्यू लगाकर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं।

बलूच नेताओं ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की सरकार के हाथ करीमा के खून से सने हुए हैं। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने स्थानीय प्रशासन पर आरोप लगाया है कि उसने जनता की भावनाओं को कुचलते हुए करीमा के शव का अपमान किया है। शव को दफनाने के समय जिस तरह से पाबंदी लगाई गई थीं, वह जनता से जुड़े एक नेता का निरादर है। यह राज्य सरकार की मंशा को दर्शाता है। सरकार के इस कृत्य की सीनेट में विपक्षी सांसदों ने भी तीखी आलोचना की है।

उल्‍लेखनीय है कि बीते रविवार को पाकिस्तानी असंतुष्ट और महिला अधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच का शव कड़ी सुरक्षा में दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान स्थित उनके गांव में दफना दिया गया था। प्रदर्शन और असंतोष भड़कने से डरी हुई इमरान खान की सरकार ने करीमा बलूच के अंतिम संस्‍कार में निकटवर्ती स्वजनों को ही शामिल होने की अनुमति दी थी। इस दौरान मोबाइल फोन सर्विस को भी बंद रखा गया था। बलूच समर्थकों ने यह भी आरोप लगाए कि अंतिम संस्कार के दौरान गांव को सील भी कर दिया गया था। 

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