पाकिस्तान में मौत की सजा पाया ईसाई ईशनिंदा में बरी, लाहौर हाई कोर्ट ने दिया आदेश

लाहौर के जोसेफ ईसाई कॉलोनी में रहने वाले सावन मसीह पर यह आरोप था कि उसने मार्च 2014 में अपने एक मुस्लिम दोस्त के साथ बातचीत के दौरान कथित रूप से पैगंबर का अपमान किया था। इसके बाद करीब तीन हजार लोगों ने कॉलोनी पर धावा बोल दिया था।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Tue, 06 Oct 2020 05:55 PM (IST) Updated:Tue, 06 Oct 2020 05:55 PM (IST)
पाकिस्तान में मौत की सजा पाया ईसाई ईशनिंदा में बरी, लाहौर हाई कोर्ट ने दिया आदेश
पाकिस्तान में लाहौर हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

लाहौर, प्रेट्र। पाकिस्तान में लाहौर हाई कोर्ट ने ईशनिंदा में मौत की सजा पाए एक ईसाई व्यक्ति को बरी कर दिया। उसे छह साल पहले लाहौर के एक ट्रायल कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई थी। उसने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी।

लाहौर के जोसेफ ईसाई कॉलोनी में रहने वाले सावन मसीह पर यह आरोप लगाया गया था कि उसने मार्च, 2014 में अपने एक मुस्लिम दोस्त के साथ बातचीत के दौरान कथित रूप से पैगंबर का अपमान किया था। यह बात उजागर होने पर करीब तीन हजार लोगों ने कॉलोनी पर धावा बोल दिया था। करीब 100 ईसाइयों के घरों को फूंक दिया गया था। कई ईसाई परिवारों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा था।

हाई कोर्ट के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया, 'जस्टिस सैयद शहबाज अली रिजवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने मसीह को बरी कर दिया। कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया है।' मसीह ने अपनी अपील में कहा था, 'ट्रायल कोर्ट ने अभियोजक के केस में कई गंभीर खामियों की अनदेखी की थी।'

दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा कि अभियोजक पक्ष ईशनिंदा में मसीह की संलिप्तता को साबित करने में असफल रहा। बता दें कि पाकिस्तान में ईशनिंदा की रोकथाम के लिए बेहद सख्त कानून बनाए गए हैं। मौत की सजा तक का प्रावधान है। पाकिस्तान में ईसाइयों की करीब दो फीसद आबादी है। 

इससे पहले भी पाकिस्तान में इस तरह के कुछ मामले सामने आए थे जिसमें कोर्ट की तरफ से उन्हें सख्त सजा दी गई थी। पाकिस्तान के अलावा भी कई देशों में इस तरह से ईशनिंदा का आरोपी पाए जाने वाले के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। वहां की अदालतें इस तरह के मामले को काफी गंभीरता से लेती है और सबक सिखाने के लिए सख्त सजा देती हैं। मुस्लिम बहुल ऐसे राष्ट्रों में ये सख्त कानून इसलिए बनाए गए हैं जिससे कोई भी ईशनिंदा करने की चेष्टा न करें, इससे बाकी लोगों को भी सबक मिलता है। 

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