म्यांमार हिंसा का एक साल पूरा, रोहिंग्या मुसलमानों ने मनाया 'ब्लैक डे'

म्यांमार में रोहिंग्या शरणार्थियों पर किए गए सैन्य हमले को शनिवार को एक साल हो गया है। रोहिंग्या ने इस काले दिवस के रूप में मनाया।

By Arti YadavEdited By: Publish:Sat, 25 Aug 2018 09:30 AM (IST) Updated:Sat, 25 Aug 2018 09:39 AM (IST)
म्यांमार हिंसा का एक साल पूरा, रोहिंग्या मुसलमानों ने मनाया 'ब्लैक डे'
म्यांमार हिंसा का एक साल पूरा, रोहिंग्या मुसलमानों ने मनाया 'ब्लैक डे'

बांग्लादेश (एएफपी)। म्यांमार में रोहिंग्या शरणार्थियों पर किए गए सैन्य हमले को शनिवार को एक साल हो गया है। पिछले साल 25 अगस्त को सेना की कठोर कार्रवाई से भयभीत करीब 700,000 रोहिंग्या मुसलमानों ने सीमा पार कर पड़ोसी देश में शरण ली थी। रोहिंग्या मुसलमानों ने इस दिन को काले दिवस के रूप में मनाया। बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रोहिंग्या कार्यकर्ताओं ने प्रार्थनाओं, भाषणों और गीतों के साथ इस काले दिन को याद किया।

बता दें कि बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में शरण ले रखी है। अपने को जातीय हिंसा का शिकार बताते हुए लाखों रोहिंग्या मुसलमान शरण की आस लिए बांग्लादेश के कॉक्स बाजार पहुंचे थे। यहां अभी 10 लाख से अधिक रोहिंग्या रह रहे हैं। पिछले साल अपने गांव पर हमले के बाद वहां से भागने वाले 27 वर्षीय शरणार्थी अब्दुल मालेक ने कहा कि रोहिंग्या की हालत में सुधार हो रहा है। उसने कहा कि यह एक साल तो सिर्फ शुरुआत है।

म्यांमार का कहना है कि रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लेने के लिए तैयार है जो हमला होने के बाद वहां से भाग गए थे। हालांकि सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि रोहिंग्या मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। बांग्लादेश ने शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमानों की वापसी के लिए म्यांमार से एक समझौते किया था, जिसे बाद में रद कर दिया गया।

200 के आसपास रोहिंग्याओं को म्यांमार वापस भेज दिया गया है। रोहिंग्या आतंकियों द्वारा उत्पन्न खतरे से आगाह करते हुए म्यांमार के नेता आंग सान सू ने इस हफ्ते कहा था कि ये बांग्लादेश को तय करना है कि कितनी जल्दी प्रत्यावर्तन किया जा सकता है। वहीं रोहिंग्या मुसलमानों का कहना है कि वे सुरक्षा, नागरिकता और मुआवजे की गारंटी के बिना वापस म्यांमार नहीं आ जाएंगे। 18 वर्षीय अमन उल्लाह ने कहा कि हम न्याय के बिना और अपने अधिकारों के बिना वापस जाना नहीं चाहते हैं। हमें गारंटी दी जाए की हमें फिर से भगाया नहीं जाएगा।

कौन हैं रोहिंग्या
म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध है। रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया था। हालांकि ये म्यांमार में पीढ़ियों से रह रहे थे। रखाइन स्टेट में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है। इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान आज भी जर्जर कैंपो में रह रहे हैं। रोहिंग्या मुसलमानों को व्यापक पैमाने पर भेदभाव और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। लाखों की संख्या में बिना दस्तावेज वाले रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं।

chat bot
आपका साथी