PAK ईसाइयों का फूटा गुस्सा, अधिकार की लड़ाई को लेकर जिनेवा की सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी
जिनेवा में पाकिस्तानी ईसाई अल्पसंख्यकों ने अपने अधिकारों की लड़ाई के चलते जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
जिनेवा (एएनआइ)। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की गूंज अब पूरा विश्व सुन रहा है। जिनेवा में पाकिस्तानी ईसाई अल्पसंख्यकों ने अपने अधिकारों की लड़ाई के चलते जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग के हाई कमिश्नर कार्यालय के बाहर इकट्ठा होकर इन लोगों ने पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों के अधिकार की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
यूरोप और यूके में रह रहे तमाम लोगों ने बड़ी संख्या में यहां इकट्ठा होकर पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इससे पहले भी पाकिस्तान के खिलाफ जिनेवा में लोगों ने मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ प्रदर्शन किया है। बलूचों से लेकर पीओके में भी लोग पाकिस्तान के आर्मी के अत्याचारों से परेशान हैं और हर मौके पर इससे खिलाफ अपनी बार बुलंद करते भी देखे गए हैं।
पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों के हाथ में प्लेकार्ड (तख्लियां) भी थे। जिसमें लिखा था, 'सेव पाकिस्तानी क्रिश्चियन'। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान में मानवाधिकारों का हनन रोको, इशनिंदा के खिलाफ पाकिस्तान में कानून को खत्म करो जैसी तख्तियां भी हाथ में लेकर नारेबाजी की। साथ ही, आसिया बीबी के खिलाफ न्याय की मांग कर रहे थे। लोगों का कहना था कि आसिया बीबी को ईशनिंदा के खिलाफ सजा दिए जाने के मामले में न्याय मिले।
इसके आलावा लोगों ने पलेस विल्सन से लेकर ब्रोकेन चेयर तक पैदल मार्च भी निकाला। इस दौरान भी वे पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। इस प्रदर्शन और मार्च का उद्देश्य पाकिस्तान में ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के बारे में लोगों को जागरूक करना था। सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि यह प्रदर्शन यूएन के ह्यूमेन राइट्स काउंसिल के 39वें अधिवेशन के दौरान किया गया है।
अतंरराष्ट्रीय क्रिश्चियन काउंसिल के अध्यक्ष कमर शम्स ने बताया कि पाकिस्तान में स्थिति बेहद गंभीर है और यह हर रोज बद से बदतर होती जा रही है। मुश्किल से ही कोई ऐसा दिन गुजरता होगा जब इस तरह के मानवाधिकारों के हनन का मामला सामने ना आता हो।
उन्होंने बताया, 'पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों विशेष रूप से ईसाइयों का हाल यह है कि लोग इन्हें इंसान तक नहीं समझते।' उन्होंने कहा, 'वे समान नागरिक नहीं हैं, उनके पास समान अधिकार नहीं हैं, उनके पास सेना, नौसेना और वायु सेना में नौकरियों और सरकारी आधिकारिक पदों में बराबरी के अवसर नहीं हैं। शम्स ने बताया, 'हाल ही में, समाचार पत्रों में विज्ञापन छपे थे, जिसमें कहा गया कि एक स्वीपर का काम विशेष रूप से ईसाइयों के लिए है और केवल ईसाई ही आवेदन कर सकते हैं। फिलहाल वे (ईसाई) मानसिक रूप से परेशान हो गए हैं और यह मानने के लिए आश्वस्त हैं कि वे कम (अल्पसंख्यक) हैं और इसका मतलब यह हुआ कि उन्हें ऐसी ही नौकरियां मिलेंगी।'
विरोध में शामिल ऐम्स्टर्डैम स्थित एक पाकिस्तानी ईसाई अंजुम इकबाल ने कहा, 'हम अल्पसंख्यक हैं और समान अधिकार मांगते हैं। ऐसे कई अन्य मुद्दे हैं जो हमारे समुदाय के लोग पाकिस्तान में झेल रहे हैं। मुख्य मुद्दा अन्याय है, जो किसी भी ईसाई, हिंदू या किसी अन्य धर्म के व्यक्ति के साथ नहीं होना चाहिए। हम समान अधिकार मांगते हैं।'
जबरन विवाह और ईसाई महिलाओं के धर्मांतरण के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, 'कई ईसाई लड़कियां हैं, जिनका अपहरण कर लिया गया है और उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया। अगर वह मुस्लिम के साथ रहने के लिए सहमत हैं तो वह जीवित रहेगी, अगर वह इनकार करती है, तो उन्हें मार दिया जाता है। यह एक बड़ा मुद्दा है जिसका ईसाई लड़कियों को सामना करना पड़ रहा है।'