आर्मेनिया-अजरबैजान की लड़ाई में पाक और तुर्की का नाम, दोनों देशों ने दी सफाई, इमरान ने किया ट्वीट

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में स्पष्टीकरण दिया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान की टिप्पणी को पूरी तरह से आधारहीन और अनुचित बताया है। तुर्की ने भी इसे नकार दिया था।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Sun, 18 Oct 2020 06:09 PM (IST) Updated:Sun, 18 Oct 2020 08:59 PM (IST)
आर्मेनिया-अजरबैजान की लड़ाई में पाक और तुर्की का नाम, दोनों देशों ने दी सफाई, इमरान ने किया ट्वीट
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच हुई लड़ाई में ध्वस्त हुए मकान। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क/एजेंसियां। आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच दो सप्ताह से अधिक समय से नागोर्नो काराबाख इलाके को लेकर लड़ाई जारी थी। इसी बीच एक खबर ये भी आई कि पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स अजरबैजान की सेना के साथ मिलकर आर्मेनिया के खिलाफ लड़ाई में हिस्सा ले रही है। अब पाकिस्तान की ओर से अपने ऊपर लगाए गए इस आरोप को खारिज किया गया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में स्पष्टीकरण दिया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान की टिप्पणी को पूरी तरह से आधारहीन और अनुचित बताया है। 

पाक स्पेशल फौज का नाम आया था सामने 

दरअसल इस विवाद को हवा आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल के एक बयान के बाद मिली थी। उन्होंने 15 अक्टूबर को रूसी समाचार एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि तुर्की की सेना के साथ मिलकर पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स आर्मीनिया के खिलाफ नागोर्नो-काराबाख में जारी लड़ाई में शामिल है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके पास इस बात का कोई प्रमाण है कि अजरबैजान की सेना को विदेशी सैन्यबलों का भी साथ मिल रहा है? तब उन्होंने जवाब दिया कि कुछ रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि जंग में पाकिस्तानी फौज का विशेष दस्ता भी शामिल है। फिर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि तुर्की के सैनिक इस लड़ाई में शामिल हैं। 

 

पाकिस्तान ने जारी किया खंडन 

उधर जब इस बात का पता पाकिस्तान के उच्च अधिकारियों को लगा तो उन्होंने इस बात का खंडन करते हुए बयान दिया है कि आर्मीनिया इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना प्रोपेगैंडा के माध्यम से अजरबैजान के खिलाफ अपनी गैर-कानूनी कार्रवाई को छिपाने की कोशिश कर रहा है, उसकी इस तरह की बयानबाजी को तुरंत रोका जाना चाहिए। 

पाकिस्तान ने अपने बयान में कहा है कि अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने इस मसले पर साफ तौर पर कहा कि उनके देश की सेना अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए पर्याप्त मजबूत है और उसे किसी बाहरी सेना की जरूरत नहीं है। साथ ही पाकिस्तान ने अपने बयान में यह भी साफ किया है कि वो अजरबैजान को कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन देता रहेगा। इससे पहले पाकिस्तान और तुर्की ने अजरबैजान को नैतिक समर्थन देने की बात कही थी। वहीं, रूस दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर शांति कायम करने की कोशिशों में लगा हुआ है। दो बार वो प्रयास भी कर चुका है। एक प्रयास के कुछ घंटे बाद ही दोनों देशों में युद्ध विराम खत्म हो गया था, अब दूसरी बार फिर ऐसी कोशिश की गई है। 

पाकिस्तान के अजरबैजान और तुर्की के साथ खास रिश्ते 

अजरबैजान और तुर्की के साथ पाकिस्तान से खास रिश्ते हैं। चूंकि अजरबैजान और आर्मीनिया के रिश्ते ठीक नहीं है इस वजह से पाकिस्तान सिर्फ अजरबैजान के साथ रह पाता है। नागोर्नो काराबाख में जारी विवाद को लेकर पाकिस्तान मानता है कि आर्मीनिया ने अज़रबैजान के इलाके में कब्जा किया है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुसार इस विवाद का निपटारा होना चाहिए। 

तुर्की की मदद को लेकर भी उठे सवाल 

पाकिस्तान के अलावा एक देश तुर्की को लेकर भी सवाल उठे हैं। आर्मीनिया ने ही कहा था कि इस लड़ाई में तुर्की केवल कूटनीतिक समर्थन नहीं कर रहा बल्कि सैन्य सहायता भी दे रहा है। प्रधानमंत्री निकोल ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि तुर्की के सैनिक अफसर काराबाख में अजरबैजान की सेना को सलाह दे रहे हैं, तुर्की ने अपने लड़ाकू विमान भी उसकी मदद के लिए भेजे हैं। तुर्की अजरबैजान की सैन्य मदद कर रहा है। इस तरह की बात सामने आने पर तुर्की ने भी इसे नकार दिया था, तुर्की की ओर से कहा गया था कि वो केवल नैतिक समर्थन दे रहे हैं किसी तरह का सैन्य समर्थन नहीं। 

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