नेपाल के विदेश मंत्री बोले, कालापानी पर भारत से वार्ता को तैयार; बातचीत से सुलझ जाएगा मसला

भारत और नेपाल के संबंधों में तनाव तब पैदा हो गया जब आठ मई को राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में 80 किलोमीटर लंबे लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sun, 24 May 2020 10:05 PM (IST) Updated:Sun, 24 May 2020 10:11 PM (IST)
नेपाल के विदेश मंत्री बोले, कालापानी पर भारत से वार्ता को तैयार; बातचीत से सुलझ जाएगा मसला
नेपाल के विदेश मंत्री बोले, कालापानी पर भारत से वार्ता को तैयार; बातचीत से सुलझ जाएगा मसला

काठमांडू, प्रेट्र। हफ्ते भर की तल्ख बयानबाजी के बाद नेपाल की ओर से खास संबंधों को कायम रखने की इच्छा जताने वाला बयान आया है। विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली ने कहा है कि नेपाल के भारत के साथ खास और नजदीकी रिश्ते हैं। उन्हें विश्वास है कि कालापानी का मसला दोनों देश आपसी बातचीत से सुलझा लेंगे।

अंग्रेजी अखबार रिपब्लिका से साक्षात्कार में नेपाली विदेश मंत्री ने कहा, हमारा हमेशा से मानना है कि मसलों और विवादों को आपसी बातचीत से निपटाया जाना चाहिए। अनावश्यक उत्तेजना पैदा किए बगैर नेपाल सीमा से जुड़े मसले बातचीत के जरिये सुलझाना चाहता है। पूरा विश्वास है कि कालापानी का मसला भी भारत के साथ बातचीत के जरिये सुलझ जाएगा। ज्ञावली ने साक्षात्कार में एक बार भी लिंपियाधुरा और लिपुलेख का उल्लेख नहीं किया। हाल ही में इन दो इलाकों पर भी दावे को लेकर नेपाल सरकार ने नक्शा जारी किया था और वहां के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बयान दिया था।

आठ मई को राजनाथ सिंह ने सड़क का किया था उद्घाटन

भारत और नेपाल के संबंधों में तनाव तब पैदा हो गया जब आठ मई को भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में 80 किलोमीटर लंबे लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया। यह सड़क रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। इस स्थान से चीन की सीमा भी ज्यादा दूर नहीं है। नेपाल ने इस सड़क को लेकर कड़ा विरोध जताया लेकिन भारत ने जवाब में कहा कि सड़क भारतीय भूमि पर बनाई गई है। इसलिए नेपाल का विरोध और दावा बेबुनियाद है।

भारत ने दी थी कड़ी प्रतिक्रिया

बीते बुधवार को नेपाल सरकार ने एक संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी करते हुए लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना क्षेत्र बताया। इस पर भारत ने कहा कि नेपाल कृत्रिम तरीके से अपनी सीमाओं को बढ़ाने का कार्य न करे और इस तरह की अन्यायिक हरकतों से बाज आए। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, किसी एकतरफा कदम से ऐतिहासिक तथ्यों और सुबूतों को नहीं बदला जा सकता। सीमाओं का फैसला द्विपक्षीय आधार पर होता है, न कि किसी देश के कृत्रिम आधार पर नक्शा जारी कर देने से। नेपाल को भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय स्थिरता का सम्मान करना चाहिए। अगर कोई गलतफहमी है तो उसके निदान के लिए नेपाल की सरकार को बातचीत का माहौल बनाकर वार्ता करनी चाहिए। नेपाल के विदेश मंत्री के ताजा साक्षात्कार को भारत के रुख के अनुरूप माना जा रहा है।

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