Greta Thunberg ने दी थी Flygskam को हवा, स्‍वीडन के लोगों ने हवाई यात्रा को कहा था 'NO'

Greta Thunberg एक बार फिर से पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। Climate Change को लेकर दुनिया में मुहिम चलाने वाली वह सबसे छोटी एक्टिविस्‍ट हैं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 24 Sep 2019 04:42 PM (IST) Updated:Tue, 24 Sep 2019 04:47 PM (IST)
Greta Thunberg ने दी थी Flygskam को हवा, स्‍वीडन के लोगों ने हवाई यात्रा को कहा था 'NO'
Greta Thunberg ने दी थी Flygskam को हवा, स्‍वीडन के लोगों ने हवाई यात्रा को कहा था 'NO'

नई दिल्ली [जागरण स्‍पेशल]। स्‍वीडन की Greta Thunberg एक बार फिर से मीडिया की सुर्खियां बटोर रही हैं। जलवायु परिवर्तन या Climate Change को लेकर उन्‍होंने पूरी दुनिया के नेताओं को जिस तरह से लताड़ा है उसको इस मुहिम से जुड़े कार्यकर्ताओं ने काफी सराहा भी है। Climate Change पर दिए भाषण के दौरान वह बेहद गुस्‍से में दिखाई दी। उनका कहना था कि नेताओं की बदौलत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मुहिम चलाने वाले कार्यकर्ता विफल हो रहे हैं। पूरा ईको सिस्टम बर्बाद हो रहा है। उनके मुताबिक युवाओं की निगाहें विश्‍व के नेताओं पर लगी हैं, ऐसे में यदि उन्‍होंने लोगों को निराश किया तो वह उन्‍हें कभी माफ नहीं करेंगे। ग्रेटा के इस भाषण के बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने उनकी जमकर तारीफ की है। ग्रेटा समेत 15 कार्यकर्ताओं ने संयुक्‍त राष्‍ट्र में पांच देशों के खिलाफ शिकायत की है। इसमें जर्मनी, ब्राजील,  फ्रांस, अर्जेंटीना और तुर्की शामिल हैं। 

ग्रेटा ने दिया नया शब्‍द 'Flygskam' 

स्‍वीडन की ग्रेटा को पूरी दुनिया जानती है। उन्‍होंने स्‍वीडन के लोगों को इस बात को सोचने पर मजबूर कर दिया वह हवाई यात्रा Air Travelling को न कह सकें। उनकी इसी मुहिम की बदौलत दुनिया को एक नया शब्‍द Flygskam के रूप में मिला। इसका अर्थ होता है flight shame। ये शब्द हवाई यात्रा कर रहे लोगों के मन में पर्यावरण को होने वाले नुकसान का अहसास कराता है। 

”People are suffering, people are dying, entire ecosystems are collapsing. We are in the beginning of a mass extinction and all you can talk about is money and fairytales of eternal economic growth.” Watch Greta Thunberg speak at the UN Monday morning. https://t.co/Akkxm9sXdr" rel="nofollow pic.twitter.com/ahHKlhbYaE — WIRED (@WIRED) September 23, 2019

हवाई यात्रा को कहा 'ना'

इस मुहिम के बाद स्‍वीडन के लोग हवाई जहाज की जगह रेलगाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ स्‍वीडन के लोग कितने संजीदा हैं इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि यहां पर रेलगाड़ी की यात्रा हवाई यात्रा से काफी लंबी और खर्चीली है, बावजूद इसके इन लोगों ने ग्रेटा की मुहिम का समर्थन किया है। ये लोग भविष्य के एक गंभीर खतरे से निपटने के लिए ऐसा कर रहे हैं, जिनसे दुनिया के ज्यादातर देश अभी अनजान हैं या उनका ध्यान इस तरफ नहीं है। 

हवाई यात्रा से शर्मिंदा स्‍वीडन के लोग 

आपको बता दें स्वीडन में सर्दियों के दौरान बहुत से लोग ऐसे देशों की यात्रा करना पसंद करते हैं, जहां उन्‍हें गर्मी का अहसास हो सके। इसके लिए ज्यादातर लोग अब से पहले हवाई यात्रा का सहारा लेते थे, लेकिन हवाई यात्रा से पर्यावरण को होने वाले नुकसान और इसकी वजह से होने वाली शर्मिंदगी की बदौलत अब यहां के लोगों का नजरिया एयर ट्रेवलिंग को लेकर बदल गया है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि हवाई यात्रा में प्रति किलोमीटर 285 ग्राम, कार से 158 ग्राम और ट्रेन से सबसे कम 14 ग्राम कार्बन उत्सर्जन होता है। 

 

स्‍कूल से छुट्टी लेकर की थी हड़ताल

आपको बता दें कि ग्रेटा थुनबर्ग ने इसी वर्ष अगस्‍त में स्‍कूल से छुट्टी पर्यावरण संरक्षण के लिए हड़ताल शुरू की थी। इसके बाद ग्रेटा एकाएक मीडिया जगत की सुर्खियां बन गई थी। ग्रेटा को टाइम मैगजीन ने भी अपने फ्रंट पेज पर जगह दी थी। उनकी इस मुहिम के साथ दुनिया के लाखों लोग जुड़े थे। उनके इसी जुनून को देखते हुए ही उन्‍हें दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और पोलैंड के काटोवित्से में आयोजित जलवायु सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था। इससे पहले वह ब्रिटेन, इटली, यूरोपीयन संसद में भी बोल चुकी हैं। 18 सितंबर को उन्‍होंने अमेरिकी संसद को भी संबोधित किया था। 

कार्बन उत्‍सर्जन काफी अधिक 

स्‍वीडन के लोगों का एयर ट्रेवलिंग को ना कहने के पीछे 2018 में आई एक रिपोर्ट भी थी। इस रिपोर्ट में पता चला था कि स्वीडन का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन 1990 से 2017 के बीच वैश्विक औसत का पांच गुना था। शोध के अनुसार 1990 से स्वीडन में हवाई यात्रा से कार्बन उत्सर्जन में 61 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है। इस वजह से स्वीडन के मौसम विभाग को चेतावनी तक जारी करनी पड़ी थी। गौरतलब है कि स्‍वीडन का औसत तापमान वैश्विक औसत से दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है।

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