तुर्की में 14 पत्रकारों को कैद की सजा, आतंकी संगठनों की मदद करने का आरोप

तुर्की की एक अदालत ने 14 पत्रकारों को कैद की सजा सुनाई। आतंकी संगठनों की मदद करने का लगा है आरोप।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Thu, 26 Apr 2018 12:23 PM (IST) Updated:Thu, 26 Apr 2018 01:07 PM (IST)
तुर्की में 14 पत्रकारों को कैद की सजा, आतंकी संगठनों की मदद करने का आरोप
तुर्की में 14 पत्रकारों को कैद की सजा, आतंकी संगठनों की मदद करने का आरोप

इस्तांबुल, तुर्की (एएनआइ)। तुर्की की एक अदालत ने बुधवार को देश के जाने-माने अखबार जम्हूरियत के 14 पत्रकारों को 'आतंकवादी संगठनों' की मदद करने के लिए कैद की सजा सुनाई है। हालांकि अखबार के संपादकों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। अंडोलु न्यूज एजेंसी के अनुसार, जम्हूरियत के मुख्य संपादक मुरात साबुंचु, जम्हूरियत के सीइओ अकिन अताले व ओरहन एरिक समेत अन्य 3 पत्रकारों को 6 से 8 साल की सजा सुनाई गई है। इन सभी पर आतंकी संगठनों की मदद करने का आरोप लगा है। हालांकि, अदालत ने अताले को जमानत दे दी है, जो पहले ही डेढ़ साल से जेल में हैं। सजा के वक्त भी वे जेल में ही थे। वहीं, अन्य 8 पत्रकारों को चार साल की सजा सुनाई गई है।

बता दें कि जम्हूरियत तुर्की के उन कुछ अखबारों में से एक है जो राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान के विचारों की आलोचना करता है। इन पत्रकारों पर जिन संगठनों की मदद करने के आरोप लगे हैं, उनमें प्रतिबंधित कुर्दिश वर्कर्स पार्टी (पीकेके), धुर वामपंथी डीएचेकेपी-सी पार्टी और गुलेन मूवमेंट शामिल हैं। सरकार 2016 में हुए नाकाम तख्तापलट के पीछे गुलेन मूवमेंट का हाथ होने का आरोप लगाती है।

15 जुलाई 2016 को तुर्की में निष्फल सैन्य तख्ता पलट हुआ था, इसमें लगभग 250 लोग मारे गए थे। जबकि करीब दो हजार लोग घायल हो गए थे। इसमें एफईटीओ और गुलेन आंदोलन का हाथ था। तुर्की, इराक और सीरिया के कुछ हिस्सों में स्थित पीकेके पिछले कुछ सालों से तुर्की के साथ सशस्त्र संघर्ष में शामिल है। इसे तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। यह पिछले कुछ वर्षों में 1,200 से अधिक तुर्की सुरक्षा कर्मियों और नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने तुर्की में पत्रकारों के साथ हो रहे सलूक की आलोचना की है.

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