चमगादड़ों का शिकार बनने से बचने के लिए क्‍या करते हैं कीट-पतंगे, जानें

रॉयल सोसायटी इंटरफेस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि कुछ कीट-पतंग चमगादड़ की उच्च आवृत्ति की आवाज को सुनने में समक्ष होते हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 29 Feb 2020 09:45 PM (IST) Updated:Sat, 29 Feb 2020 09:45 PM (IST)
चमगादड़ों का शिकार बनने से बचने के लिए क्‍या करते हैं कीट-पतंगे, जानें
चमगादड़ों का शिकार बनने से बचने के लिए क्‍या करते हैं कीट-पतंगे, जानें

लंदन, प्रेट्र। कुछ कीट-पतंगों के पास आवाज को अवशोषित करने की जबर्दस्त क्षमता होती है, जिसकी मदद से ये चमगादड़ जैसे निशाचरों का शिकार बनने से बच जाते हैं। आवाज अवशोषित हो जाने पर चमगादड़ कीट-पतंगों की सही स्थिति का पता नहीं लगा पाते और आगे बढ़ जाते हैं। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। इसमें बताया गया है कि कीटों की यह क्षमता उन्नत जैव-प्रेरित ध्वनिक छलावरण तकनीक के निर्माण में सहायक सिद्ध हो सकती है।

ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया दावा

रॉयल सोसायटी इंटरफेस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि कुछ कीट-पतंग चमगादड़ की उच्च आवृत्ति की आवाज को सुनने में समक्ष होते हैं। अपने इसी साम‌र्थ्य को कीटों ने रक्षात्मक रणनीति में विकसित किया है ताकि वे जीवित रह सकें।

अल्ट्रासोनिक ध्वनियों को सुन सकते हैं कीट-पतंगे

ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, चमगादड़ उच्च आवृत्ति की ध्वनि उत्पन्न कर कीटों की खोज करते हैं और यह अनुमान लगाते हैं किस क्षेत्र में कितनी मात्रा में कीट मौजूद हो सकते हैं। इससे बचने के लिए कई कीड़े चमगादड़ों की अल्ट्रासोनिक ध्वनियों को सुनने की क्षमता विकसित करते हैं, जो चमगादड़ के निकट आने पर उन्हें सुरक्षित निकलने में मदद करती है। हालांकि कुछ कीटों में ऐसी क्षमता नहीं होती है। अपनी जान बचाने के लिए वे अलग तंत्र विकसित कर लेते हैं।

ध्वनि की ऊर्जा को अवशोषित करते हैं तंतु

शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि एथेरिना सुरका और कैलोसामिया प्रोमेथिया नामक कीटों के मध्य भाग में ऐसे तंतु होते हैं जो संरचनात्मक रूप से मनुष्यों द्वारा शोर से बचने के लिए प्रयोग किए जाने वाले फाइबर के समान होते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि कीटों के शरीर में मौजूद यह तंतु ध्वनि की ऊर्जा को 85 फीसद तक अवशोषित कर लेता है। अध्ययन में बताया गया है कि ध्वनि के जरिये ही चमगादड़ लगभग 25 फीसद तक कीट-पतंगों का पता आसानी से लगा लेते हैं लेकिन कीटों द्वारा इसकी ऊर्जा अवशोषित कर लेने की क्षमता उन्हें जिंदा रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

ध्वनिरोधक तकनीक के खोजे जा सकते हैं नए समाधान

ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी से इस अध्ययन के प्रमुख लेखक थॉमस नील ने कहा, 'हम यह देखकर चकित थे कि ये कीड़े व्यावसायिक रूप से उपलब्ध तकनीक- 'ध्वनि अवशोषक' (वाइस एब्जॉर्बर) के समान ध्वनि को अवशोषित करने में सक्षम थे। उन्होंने कहा कि अब हम उन तरीकों को देख रहे हैं जिनमें हम इन जैविक प्रणालियों का उपयोग करके ध्वनि रोधक तकनीक के नए समाधान खोज सकते हैं।

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