भारत ने नेपाल में भूकंप से क्षतिग्रस्त 50 हजार मकानों का कराया पुनर्निर्माण, 2015 में आया था विनाशकारी भूकंप

भारतीय दूतावास के उप प्रमुख नामग्या सी. खंपा ने बताया की कि 50000 निजी मकानों के पुनर्निर्माण का काम पूरा हो गया है। इस कार्य के लिए मार्च 2018 में भारत सरकार ने यूएनडीपी और यूएनओपीएस को भी शामिल किया था।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 06:55 PM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 06:55 PM (IST)
भारत ने नेपाल में भूकंप से क्षतिग्रस्त 50  हजार मकानों का कराया पुनर्निर्माण, 2015 में आया था विनाशकारी भूकंप
अप्रैल 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में नौ हजार से अधिक लोगों की जान गई थी

काठमांडू, प्रेट्र। भारत ने सोमवार को घोषणा की कि उसने 2015 के विनाशकारी भूकंप में नेपाल के दो जिलों में क्षतिग्रस्त हो गए 50,000 मकानों का पुनर्निर्माण कराया है। इस उपलक्ष्य में भारतीय दूतावास ने राष्ट्रीय पुनर्निर्माण प्राधिकार (एनआरए), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और संयुक्त राष्ट्र परियोजना सेवा कार्यालय (यूएनओपीएस) की मदद से गोरखा और नुवाकोट जिलों में मकानों का काम सफलतापूर्वक पूरा होने पर एक कार्यक्रम आयोजित किया।

भारतीय दूतावास के उप प्रमुख नामग्या सी. खंपा ने बताया की कि 50,000 निजी मकानों के पुनर्निर्माण का काम पूरा हो गया है। इस कार्य के लिए मार्च 2018 में भारत सरकार ने यूएनडीपी और यूएनओपीएस को भी शामिल किया था।

भूकंप के बाद आवास क्षेत्र पर सहायता के रूप में भारत सरकार ने 15 करोड़ डालर (1100 करोड़ रुपये से अधिक) देने की प्रतिबद्धता जताई थी। इसमें से 10 करोड़ डालर ग्रांट के रूप में और पांच करोड़ डालर फोर्थ लाइन आफ क्रेडिट के तहत दिए गए।

बता दें कि अप्रैल 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में नौ हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी।

इस भूकंप से नेपाल को आर्थिक तौर पर जबरदस्‍त झटका लगा था। इसका असर नेपाल के अलावा भारत, चीन और बांग्‍लादेश तक भी देखा गया था। इसका केंद्र नेपाल के लामजुंग से करीब 38 किलोमीटर दूर स्थित था। इसकी वजह से माउंट एवरेस्‍ट पर आए भूस्‍खलन ने कई पर्वतारोहियों को अपनी चपेट में ले लिया था। इसमें 17 पर्वतारोहियों की मौत हो गई थी।

विश्व धरोहरों को पहुंचा भारी नुकसान

2015 में आए इस विनाशकारी भूकंप की वजह से काठमांडू घाटी में यूनेस्को विश्व धरोहर समेत कई प्राचीन एतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुचां और कई तो पूरी तरह से ध्‍वस्‍त हो गई थीं। 18वीं सदी में निर्मित धरहरा मीनार इन्‍हीं में से एक थी। अकेले इस मीनार के मलबे से 200 से ज्यादा शव निकाले गए थे। इस भूकंप ने आर्थिक दृष्टि से नेपाल की कमर तोड़ कर रख दी थी, जिससे वह आज तक भी उबर नहीं पाया है।

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