सुरक्षा परिषद में आतंकवाद पर भारत का करारा प्रहार, पाक पर भी निशाना, जानें क्‍या कहा

संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में उच्‍च स्‍तरीय खुली बहस में भारत ने आतंकवाद पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि वह सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद से जूझ रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 07 Aug 2020 07:48 PM (IST) Updated:Fri, 07 Aug 2020 07:48 PM (IST)
सुरक्षा परिषद में आतंकवाद पर भारत का करारा प्रहार, पाक पर भी निशाना, जानें क्‍या कहा
सुरक्षा परिषद में आतंकवाद पर भारत का करारा प्रहार, पाक पर भी निशाना, जानें क्‍या कहा

संयुक्‍त राष्‍ट्र, एजेंसियां। संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में उच्‍च स्‍तरीय खुली बहस में भारत ने आतंकवाद पर करारा हमला बोला। भारत ने कहा कि वह सीमा पार से (पाकिस्‍तान से) प्रायोजित किए जाने वाले आतंकवाद से जूझ रहा है। भारत अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध और आतंकवाद के क्रूर संबंधों से पी‍ड़‍ित है। भारत ने इसी कड़ी में 1993 के मुंबई हमलों की ओर दुनिया का ध्‍यान आकर्षित किया। भारत ने कहा कि इसी संगठित सिंडिकेट (organized crime syndicate) का नतीजा है कि डी-कंपनी (D-Company) ने साल 1993 में मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाकों को अंजाम दिया था। इन हमलों में 250 से अधिक बेगुनाह लोगों मारे गए थे।

भारत ने कहा कि इन धमाकों का गुनहगार (दाऊद इब्राहिम) पड़ोसी देश (पाकिस्‍तान) में खुला घूमता रहा और हथियारों व मादक पदार्थों की तस्‍करी जैसे अपराधों को दुनिया भर में अंजाम देता रहा। मौजूदा वक्‍त में ऐसे अपराधियों पर लगाम लगाने की सख्‍त जरूरत है और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र को एफएटीएफ जैसे निकायों के साथ समन्वय को बढ़ाने की दरकार है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारत ने इस बहस में आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा की और कहा कि आतंकवाद के मूल कारणों की तलाश करना भूसे के ढेर में एक सुई को तलाशने जैसा है।

गौरतलब है कि बीते दिनों कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में उठाने की पाकिस्तान व चीन की कोशिश एक बार फिर विफल हो गई है। यह कोशिश वैसी ही थी जैसी पिछले वर्ष जम्मू व कश्मीर राज्य से धारा 370 समाप्त करने के बाद की गई थी। चीन की कोशिश थी कि बंद कमरे में कश्मीर के हालात पर चर्चा हो और इस पर कोई बयान जारी किया जाए। यूएनएससी के दूसरे किसी भी सदस्य ने इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। बहरहाल, भारत ने चीन की इस हरकत को अपने आंतरिक मामलों में दखल बताते हुए खारिज किया है साथ ही यह सलाह भी दी है कि इस तरह की कोशिश असफल होने से पड़ोसी देश सीख ले।

मालूम हो कि बीते दिनों भारत ने जम्मू कश्मीर पर तुर्की की टिप्पणी को तथ्यात्मक रूप से गलत, पक्षपातपूर्ण और अवांछनीय बताया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को तुर्की को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचने की नसीहत दी थी। तुर्की के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा था कि जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जे को वापस लेने से स्थिति और जटिल हुई है। इससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को फायदा नहीं हुआ। तुर्की ने यह टिप्‍पणी भारत के जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने की पहली वर्षगांठ के दिन की थी। 

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