जानें, आकाश में तेज हवाओं और गरजते बादलों के बीच बर्फ कैसे बनती है?

शोधकर्ताओं ने कहा ‘बादलों में इस प्रक्रिया को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बिना पृथ्वी के मध्य अक्षांशों में कोई वर्षा नहीं होगी जिसमें दक्षिणी भारत के भी कुछ हिस्से शामिल है

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 11 Nov 2019 09:14 AM (IST) Updated:Mon, 11 Nov 2019 09:14 AM (IST)
जानें, आकाश में तेज हवाओं और गरजते बादलों के बीच बर्फ कैसे बनती है?
जानें, आकाश में तेज हवाओं और गरजते बादलों के बीच बर्फ कैसे बनती है?

बार्लिन, प्रेट्र। सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है। ऊंचे इलाकों में बर्फबारी भी होने लगी है। लेकिन ये बर्फबारी होती कैसे है? आकाश में तेज हवाओं और गरजते बादलों के बीच बर्फ कैसे बनती है? एक नए अध्ययन में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि इस अध्ययन के जरिये हमें बारिश और बर्फबारी की प्रक्रिया को और बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।

इस अध्ययन में जर्मनी के लीबनिज इंस्टीट्यूट फॉर ट्रोपोस्फेरिक रिसर्च (टीआरओपीओएस) के शोधकर्ता भी शामिल थे। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘बादलों में इस प्रक्रिया को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बिना पृथ्वी के मध्य अक्षांशों में कोई वर्षा नहीं होगी, जिसमें दक्षिणी भारत के भी कुछ हिस्से शामिल हैं।

यह अध्ययन एपीजे क्लाइमेट एंड एटमॉस्फियरिक साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है, ‘गर्म हवाएं सर्द हवाओं के मुकाबले कम संघनित होती हैं। ये ऊध्र्वाधर हवाओं की गति को बढ़ाने का काम करती हैं और जिन बादलों में वाष्प, ठंडे पानी की बूंदें मौजूद होती हैं उनमें बर्फ के निर्माण में सहायता करती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘एरोसोल कणों, हवा की गति, और बादलों में अन्य शारीरिक प्रक्रियाओं की जटिलता के कारण बादलों में बर्फ बनने की प्रक्रिया को अलग-अलग कर अध्ययन करना मुश्किल है।’

रडार और लेजर तकनीक का किया उपयोग

इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने रडार और लेजर तकनीक का उपयोग करते हुए लगभग 2 से 8 किलोमीटर की ऊंचाई पर बड़े बादल क्षेत्रों का आकलन किया। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि अशांत और गजरते बादल सीधे बर्फ के बनने की प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करते हैं। लेकिन बादलों में मौजूद वाष्प और पानी के कण बर्फ के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।

जल चक्र का हिस्सा है बर्फबारी

आम तौर पर यह प्रक्रिया जल चक्र के रूप में जानी जाती है। इसमें सूरज की गर्मी से नदियों, तालाबों, झीलों और समुद्र का पानी वाष्प बनकर आसमान में पहुंच जाता है। जब कई वाष्प के कण संघनित होते हैं यानी इकट्ठे हो जाते हैं तो वे बादल का रूप ले लेते हैं। जब ये बादल आपस में टकराते हैं, तो बारिश होने लगती है। लेकिन जब यही बादल वातावरण में अधिक ऊपर चले जाते हैं तो वहां का तापमान बहुत कम हो जाता है और वातावरण बहुत ठंडा हो जाता है। बादल का तापमान बहुत कम हो जाने पर इनमें मौजूद वाष्प कण छोटे बर्फ के कणों में बदल जाते हैं। जब हवा इन बर्फ के कणों का वजन सहन नहीं कर पाती तो ये नीचे की ओर गिरने लगते हैं। इस दौरान एक-दूसरे से टकरा कर जुड़ने से इनका आकार बड़ा होने लगता है। रूई जैसे ये कण जब पृथ्वी पर गिरते हैं तो हम उसे बर्फबारी कहते हैं।

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