श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति राजपक्षे बोले, अंतरराष्ट्रीय ताकतों से जुड़े मामलों में रहेंगे तटस्थ
श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने अपने शपथ ग्रहण समारोह के मौके पर कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय ताकतों से जुड़े मामलों में तटस्थ रहेंगे।
कोलंबो, पीटीआइ। श्रीलंका (Sri Lanka) के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने सोमवार को अपने शपथ ग्रहण समारोह के मौके पर कहा कि उनका देश सभी देशों से दोस्ताना ताल्लुकात बनाकर रखेगा। यही नहीं उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ताकतों से जुड़े मामलों में तटस्थ रहने की प्रतिबद्धता भी जताई, ताकि किसी भी अनावाश्यक टकराव से बचा जा सके।
समाचार एजेंसी पीटीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 70 वर्षीय नेता का उक्त बयान बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि श्रीलंका हिंद महासागर में समुद्री मार्गों के साथ अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण बेहद अहम वाणिज्यिक केंद्र है और इस समुद्री क्षेत्र में चीन भारत की चिंताओं को बढ़ा रहा है। राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में राजपक्षे ने विदेशी नीति और सतत विकास के मसले पर बात की।
गोतबया राजपक्षे ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने और श्रीलंका को सतत विकास के मामले में अग्रणी देशों में से एक बनाने का भी संकल्प लिया। यही नहीं उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि उनके प्रशासन में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, मैं सभी समुदायों की रक्षा करूंगा और सबसे अग्रणी स्थान बौद्धों को दूंगा। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि मैं सभी का राष्ट्रपति रहूं।
सफेद परिधान पहने राजपक्षे (70) ने मुख्य न्यायाधीश जयंत जयसूर्या की मौजूदगी में सुबह 11 बजकर 49 मिनट पर आधिकारिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। उन्हें पूर्व राष्ट्रपति के सचिव उदय आर सेनेविरत्ने ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। राजपक्षे को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ जारी टकराव को खत्म करने का श्रेय दिया जाता है।
बता दें कि श्रीलंका में 16 नवंबर को हुए चुनाव में गोतबाया ने कुल 13,252,499 मतों (52.25 प्रतिशत) से जीत हासिल की है। उनका शपथग्रहण समारोह अनुराधापुरा के रूवानवेली सेया में हुआ जो एक स्तूप है। यह राजधानी कोलंबो से करीब 200 किलोमीटर दूर है। दुनियाभर के बौद्ध भिक्षु इसे बेहद पवित्र मानते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि राजपक्षे देश के पहले राष्ट्रपति हैं जिन्होंने कोलंबो के बाहर शपथ ली है।