काबुल में आतंकी हमले में 29 की मौत 61 घायल, सत्ता पर कब्जा कर सकता है तालिबान
तालिबान और अमेरिका के बीच हुए शांति समझौते के बावजूद अफगानिस्तान में आतंकी हमले थम नहीं रहे हैं। राजधानी काबुल में शुक्रवार को बड़ा आतंकी हमला हुआ।
काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए हाल ही में अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते के बाद काबुल में शिया समुदाय के जलसे में सबसे बड़ा हमला हुआ है। इसमें 32 लोगों की मौत हुई है और 81 लोग जख्मी हुए है। पुलिस ने दोनों हमलावरों को मार गिराया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इस्लामिक स्टेट ग्रुप ने हमले की जिम्मेदारी ली है। अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट समूह के आतंकी संगठन ने अपनी वेबसाइट पर शिया मुसलमानों के खिलाफ युद्ध का एलान किया है। इस हमले में भी मारे गए ज्यादातर शिया ही हैं, जो अफगानिस्तान के कबिलाई हजारा समुदाय के नेता अब्दुल अली मजारी की पुण्यतिथि मनाने के लिए जमा हुए थे।
तालिबान ने 1995 में मजारी की अपहरण के बाद हत्या कर दी थी। पिछले साल मजारी की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में तालिबान ने हमला किया था, लेकिन इस बार तालिबान ने इस हमले में हाथ होने से इन्कार किया है। आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता नसरत रहिमी ने कहा कि एक निर्माणाधीन अपार्टमेंट में छिपे आतंकियों ने हमला किया। इसमें 32 लोगों की मौत हुई है और 81 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी 32 लोगों के मारे जाने, लेकिन 58 लोगों के घायल होने की जानकारी दी है। घायलों में एक पत्रकार और एक कैमरामैन भी शामिल है।इस हमले में अफगानिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और राष्ट्रपति अशरफ गनी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले अब्दुल्ला अब्दुल्ला समेत कई नेता मौजूद थे, जो बाल-बाल बच गए।
अब्दुल्ला के प्रवक्ता फ्रायदून क्वाजून, जो कार्यक्रम में मौजूद थे, ने कहा कि उस क्षेत्र में एक रॉकेट गिरने के धमाके के साथ हमला शुरू हुआ। उसके बाद फाय¨रग की आवाजें भी सुनाई पड़ने लगीं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कार्यक्रम में सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षा बलों ने भी भीड़ पर फायरिंग की, जिसमें कई लोग मारे गए और घायल हुए। हमले के बाद वहां अफरा-तफरी मच गई।
गनी ने मानवता के खिलाफ हमला बताया
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने ट्वीट कर इसे मानवता और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ हमला बताया। गनी ने कहा कि उन्होंने अब्दुल्ला को फोन कर उनका हालचाल जाना। बता दें कि 2014 के चुनाव के बाद अब्दुल्ला ने गनी सरकार में सीईओ के रूप में काम किया था।
अफगानिस्तान से अपनी सेना हटाना चाहता है अमेरिका
अमेरिका और तालिबान के बीच पिछले शनिवार को समझौता हुआ था, जिसके मुताबिक वाशिंगटन अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को धीरे-धीरे हटा लेगा। समझौते के मुताबिक अफगानिस्तान भी ¨हसक गतिविधियों से दूर रहेगा। लेकिन समझौते के बाद लगातार हमले हो रहे हैं। पश्चिमी सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी हमले को लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन काबुल के सभी प्रवेश द्वार पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
तालिबान सत्ता पर कब्जा कर सकता है : ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के निकलने के बाद तालिबान वहां सत्ता पर कब्जा कर सकता है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कहा कि देशों को अपनी देखभाल स्वयं करनी चाहिए। आप इतने लंबे समय तक किसी का हाथ पकड़ सकते हैं। हालांकि, ट्रंप ने यह भी कहा कि तालिबान से सत्ता कब्जाने की उम्मीद नहीं है, लेकिन ऐसा संभव हो सकता है।