जानें- चीन के उस टेलिस्‍कोप की खासियत जिसको मिल रहे हैं अंतरिक्ष से रहस्‍यमय सिग्‍नल

चीन ने जिस टेलिस्‍कोप के अंतरिक्ष से सिग्‍नल मिलने की बात कही है वह अपने आप में बेहद खास है। इसको एलियंस की खोज के लिए बनाया गया था।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 09 Sep 2019 05:30 PM (IST) Updated:Sun, 15 Sep 2019 08:40 AM (IST)
जानें- चीन के उस टेलिस्‍कोप की खासियत जिसको मिल रहे हैं अंतरिक्ष से रहस्‍यमय सिग्‍नल
जानें- चीन के उस टेलिस्‍कोप की खासियत जिसको मिल रहे हैं अंतरिक्ष से रहस्‍यमय सिग्‍नल

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। चंद्रयान 2 के लैंडर से संपर्क टूटने के करीब 60 घंटे बाद चीन ने अपने सबसे बड़े टेलिस्‍कोप को अंतरिक्ष से मिल रहे रहस्‍यमय सिग्‍नल की जानकारी देकर सभी को हैरान कर दिया है। हालांकि, अभी तक इस बात का पता नहीं चल सका है कि यह रहस्‍यमय सिग्‍नल के पीछे क्‍या है। यह सिग्‍नल जिस टेलिस्‍कोप को मिल रहे हैं वह भी अपने आप में बेहद खास है। चीन के दक्षिण-पश्चिम में स्थित गुइझोऊ प्रांत में यह टेलिस्‍कोप लगा है। इसका नाम है फास्‍ट (FAST)। फास्‍ट मतलब है फाइव हंड्रेड मीटर एपरेचर स्‍फेरिकल रेडियो टेलिस्‍कोप (Five-hundred-meter Aperture Spherical Radio Telescope)। इसकी खासियत का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि यह अब तक करीब 44 नए पल्‍सर की खोज कर चुका है। पल्‍सर तेजी से घूमने वाला न्यूट्रॉन या तारा होता है जो रेडियो तरंग और इलेक्‍ट्रोमेग्‍नेटिक रेडिएशन उत्सर्जित करता है।

टेलिस्‍कोप की खासियत
इस टेलिस्‍कोप की खासियत यहीं तक सीमित नहीं है। फिलहाल इस टेलिस्‍कोप को जो सिग्‍नल मिल रहे हैं उसको वैज्ञानिक भाषा में फास्‍ट रेडियो बर्स्‍ट (FRB) कहते हैं। इसका अर्थ वो रहस्‍यमय सिग्‍नल हैं जो सुदूर ब्रह्मांड से आते हैं। जिन स्ग्निल के मिलने की बात अभी सामने आई है उनकी दूरी पृथ्‍वी से करीब तीन बिलियन प्रकाश वर्ष है। हालांकि, इन संकेतों का लैंडर से कोई लेना देना नहीं है क्‍योंकि यह चांद से भी कई गुणा दूर है। आपको बता दें कि चांद की पृथ्‍वी से दूरी करीब 384,400 किमी है। बहरहाल, चीन के वैज्ञानिक फिलहाल इनका विश्‍लेषण कर रहे हैं और ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यह कहां से आए हैं। नेशनल एस्‍ट्रोनॉमिकल ऑब्‍जरवेटरी ऑफ चाइनीज अकादमी ऑफ साइंस के मुताबिक यह संकेत कुछ सैकेंड के लिए ही मिले थे। वैज्ञानिकों की मानें तो इस तरह के सिग्‍नल यदि आगे भी मिले तो मुमकिन है कि इनके उदगम स्‍थल का भी पता चल सके। 

प्राकृतिक सिंकहोल का इस्‍तेमाल
आपको बता दें कि इस टेलिस्‍कोप को एक प्राकृतिक रूप से बने सिंकहोल की जगह बनाया गया है। 2016 से इस टेलिस्‍कोप ने काम करना शुरू किया था और यह दुनिया का सबसे बड़ा फाइल्‍ड रेडियो टेलिस्‍कोप  (filled radio telescope) है। इसके अलावा यह दुनिया का दूसरे नंबर का सिंगल एपरेचर टेलिस्‍कोप भी है। इसके आगे रूस का रतन-600 है। इस टेलिस्‍कोप में 4450 ट्राइउंगलर पैनल लगे हैं जिनका दायरा करीब 500 मीटर या 1600 फीट है। चीन के इस टेलिस्‍कोप का आकार 30 फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है। इसे साल 2011 में बनाना शुरू किया गया और दुनिया के सामने ये साल 2016 में आया।

एक नजर इधर भी 
अगर इसके पैनल्स की बात की जाए तो प्रत्येक की भुजा 11 मीटर की है। 1.6 किलोमीटर परिमााप वाले इस टेलीस्कोप का चक्कर लगाने में 40 मिनट का समय लगता है।

इस टेलिस्‍कोप को यहां की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहां पर लगाया गया है। इसके करीब पांच किमी के दायरे में कोई शहर नहीं बसा है। 

इतने बड़े आकार का यह टेलिस्‍कोप सैकड़ों स्टील के पिलर्स और केबल्स पर टिका हुआ है। इसको लगाने का मकसद सुदूर अंतरिक्ष में जीवन की खोज के अलावा एलियंस का पता लगाना भी है। इसकी खासियत ये भी है कि ये कम क्षमता वाले सिग्‍नल को भी पकड़ सकता है। इस टेलिस्‍कोप को बनाने में चीन ने 12 अरब रुपए या 185 मिलियन डॉलर का खर्च किया है।

चीन के इस टेलिस्‍कोप ने उत्‍तरी अमेरिका के पोर्टो रीको की एरेसिबो ऑब्जर्वेट्री को भी पीछे छोड़ ि‍दिया है, जिसका डायामीटर 300 मीटर है।

चीन में लगा यह टेलिस्कोप 4,500 पैनल की मदद से अंतरिक्ष में करीब 1,000 प्रकाश वर्ष दूर के तारों के बारे में जानकारी जुटा सकता है। 

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